सनावद (मध्य प्रदेश): राजस्थान की सियासत में इस वक्त बवाल मचा हुआ है। प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की जंग अब अलग ही लेवल पर पहुंच गई है। गहलोत ने खुलेआम सचिन पायलट को गद्दार कह दिया है और सीएम पद के लिए पायलट की दावेदारी का खुल्लमखुल्ला विरोध कर दिया है। गहलोत के बयान पर सचिन पायलट ने भी पलटवार करते हुए कहा कि सबको एक ना एक दिन कुर्सी खाली करनी पड़ती है। वहीं, कांग्रेस अब डैमेज कंट्रोल में लग गई है। भारत जोड़ा यात्रा अगले हफ्ते राजस्थान में पहुंचने वाली है लेकिन उससे पहले गहलोत और पायलट की लड़ाई एक बार फिर तेज हो गई है।
'कांग्रेस के लिए गहलोत और पायलट दोनों जरूरी'
इस बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कांग्रेस नेता सचिन पायलट को ‘‘गद्दार’’ कहे जाने को ‘‘अप्रत्याशित’’ करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को दोनों नेताओं की जरुरत है और राजस्थान के मसले का उचित हल व्यक्तियों को देखते हुए नहीं, बल्कि पार्टी संगठन को प्राथमिकता देकर निकाला जाएगा। कांग्रेस के संचार, प्रचार और मीडिया विभाग के प्रभारी महासचिव रमेश इन दिनों राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं।
'गहलोत ने जिस शब्द का इस्तेमाल किया उससे मुझे आश्चर्य हुआ'
पायलट को गहलोत द्वारा ‘‘गद्दार’’ कहे जाने को लेकर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘गहलोत, कांग्रेस के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। लेकिन उनके द्वारा एक इंटरव्यू में (पायलट के लिए) जिस शब्द (गद्दार) का इस्तेमाल किया गया, वह अप्रत्याशित था और इससे मुझे भी आश्चर्य हुआ।’’ रमेश ने कांग्रेस को एक परिवार बताया और कहा, ‘‘पार्टी को गहलोत और पायलट, दोनों की जरुरत है। कुछ मतभेद हैं जिनसे हम भाग नहीं रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व द्वारा राजस्थान से जुड़े मसले का उचित हल निकाला जाएगा।
गहलोत की बयानबाजी से कांग्रेस की भारी फजीहत
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा, ‘‘...लेकिन यह हल कांग्रेस संगठन को प्राथमिकता देते हुए निकाला जाएगा। हम व्यक्तियों के आधार पर कोई हल नहीं निकालेंगे।’’ रमेश ने पायलट की तारीफ करते हुए उन्हें कांग्रेस का ‘‘युवा, ऊर्जावान, लोकप्रिय और चमत्कारी नेता’’ करार दिया। गहलोत की बयानबाजी से कांग्रेस की भारी फजीहत के बीच रमेश ने राजस्थान के मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘कांग्रेस के नेता बिना किसी डर के अपने मन की बात कहते हैं क्योंकि पार्टी आलाकमान तानाशाही के आधार पर कोई निर्णय नहीं लेता। कांग्रेस और भाजपा में यही फर्क है।’’