केंद्र में एनडीए गठबंधन की सरकार बनने से ठीक पहले टीडीपी ने बड़ा ऐलान किया है। भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाले गठबंधन में शामिल टीडीपी ने आंध्र प्रदेश में मुस्लिम आरक्षण जारी रखने का फैसला किया है। टीडीपी नेता रविंद्र कुमार से जब सवाल किया गया कि क्या उनकी पार्टी मुस्लिम आरक्षण जारी रखेगी। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हां हम इसे जारी रखेंगे। इसमें कोई समस्या नहीं है। सूत्रों के अनुसार एनडीए गठबंधन में शामिल होने के लिए चंद्रबाबू नायुडू ने अपनी पहली शर्त यही रखी है कि वह मुस्लिम आरक्षण नहीं हटाएंगे।
लोकसभा चुनाव 2024 में हर जगह प्रचार के दौरान पीएम मोदी और बीजेपी के अन्य नेताओं ने मुस्लिम आरक्षण का विरोध किया था और इसे संविधान के खिलाफ बताया था। बीजेपी नेताओं का कहना था कि बाबा साहेबा आंबेडकर ने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था, लेकिन कांग्रेस ने एसटी-एससी का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को दे दिया। ऐसे में बीजेपी के सहयोगी दल का मुस्लिम आरक्षण जारी रखना पार्टी के लिए गले की हड्डी बन सकता है।
क्यों अहम हैं टीडीपी ?
लोकसभा चुनाव 2024 में तेलगू देसम पार्टी को कुल 16 सीटें मिली हैं और यह छठी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लोकसभा में सरकार बनाने के लिए किसी भी नेता के पास 272 सांसदों का समर्थन होना जरूरी है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के पास कुल 240 सांसद ही हैं। एनडीए गठबंधन में दूसरा सबसे बड़ा दल टीडीपी ही है। वहीं, जेडीयू 12 सीटों के साथ गठबंधन का तीसरा अहम दल है। एनडीए गठबंधन के पास कुल 292 सांसद हैं। ऐसे में अगर टीडीपी का साथ छूटता है तो एनडीए गठबंधन में 276 सांसद ही रह जाएंगे और आगामी सरकार गिरने का खतरा बना रहेगा। इसी वजह से बीजेपी के लिए टीडीपी का साथ बेहद अहम है।
टीडीपी ने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में 175 में से 135 सीटें जीती हैं और भारी बहुमत के साथ आंध्र प्रदेश में सरकार बनाने के लिए तैयार है। यहां सरकार बनाने के लिए 88 विधायकों का समर्थन जरूरी है और टीडीपी के पास इससे ज्यादा विधायक हैं, जबकि बीजेपी के पास सिर्फ आठ विधायक हैं। राज्य में सरकार बनाने के लिए टीडीपी को किसी मदद की जरूरत नहीं है। यही वजह है कि चंद्रबाबू नायडू अपनी शर्तों पर ही केंद्र सरकार में बीजेपी को समर्थन देना चाहते हैं।