नई दिल्ली: मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटाने की मांग लगातार तेज होती जा रही है। बीरेन सिंह से नाराज होकर दिल्ली में डेरा डाले विधायकों ने राज्य के प्रभारी एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की। पात्रा को पार्टी ने मणिपुर के प्रभारी के साथ-साथ नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के संयोजक की भी जिम्मेदारी सौंपी हुई है। बताया जा रहा है कि नाराज विधायकों ने संबित पात्रा से मुख्यमंत्री के काम करने के तौर-तरीको की जमकर शिकायत की। उन्होंने राज्य की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री को हटाने या फिर उनके मंत्रिमंडल में फेरबदल करने की मांग की।
संबित पात्रा ने विधायकों से क्या कहा?
सूत्रों की मानें, तो पात्रा ने इन विधायकों को स्पष्ट शब्दों में यह बता दिया है कि पार्टी फोरम पर उनकी बातों को तवज्जों देते हुए समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन जहां तक मुख्यमंत्री बदलने या उनकी सरकार में किसी तरह के फेरबदल करने की मांग है, उसे लेकर वो सारी बातें पार्टी आलाकमान तक पहुंचा देंगे।
बता दें कि मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के खिलाफ भाजपा के विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है। राज्य में मुख्यमंत्री से नाराज होकर दो विधायक कोई जिम्मेदारी नहीं दिए जाने की शिकायत करते हुए अपने-अपने सरकारी पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। बताया जा रहा है कि मणिपुर सरकार के विभिन्न निगमों और निकायों में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे कई और और विधायक भी इन सरकारी पदों से इस्तीफा दे सकते हैं।
13 अप्रैल से हुई घमासान की शुरुआत, क्या है वजह?
मणिपुर में पार्टी और सरकार में घमासान की शुरुआत 13 अप्रैल को भाजपा विधायक थोकचॉम राधेश्याम सिंह द्वारा मणिपुर के मुख्यमंत्री के सलाहकार के पद से इस्तीफा देने के साथ ही हो गई थी। उन्होंने अपने इस्तीफे में कोई जिम्मेदारी नहीं दिए जाने की शिकायत करते हुए पद से इस्तीफा देने की बात कही थी। इसके कुछ ही दिन बाद सोमवार 17 अप्रैल को लांगथबल विधानसभा के भाजपा विधायक करम श्याम ने भी मुख्यमंत्री पर मणिपुर पर्यटन निगम के अध्यक्ष के तौर पर कोई जिम्मेदारी नहीं देने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया।
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क्यों नाराज हैं बीजेपी विधायक?
हालांकि बताया जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर विधायक राज्य के कुकी समुदाय से आते हैं जो मुख्यमंत्री द्वारा 2008 के एसओओ समझौते का निलंबन करने से नाराज हैं। ये नाराज विधायक अपनी संख्या 12 होने का दावा कर रहे हैं, हालांकि भाजपा इतने बड़े पैमाने पर विरोध की बातों को सिरे से खारिज कर रही है। भाजपा के एक नेता ने बताया कि राज्य में भाजपा की सरकार पूरी तरह से मजबूत और सुरक्षित है। दो-तीन विधायकों को निजी कारणों की वजह से कुछ समस्याएं हैं और उसका समाधान कर दिया जाएगा। भाजपा फिलहाल इसे एक रूटीन विवाद से ज्यादा तवज्जों देने को तैयार नहीं है।
पिछले साल मार्च में 60 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए भाजपा ने 32 सीटों पर जीत हासिल कर पहली बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत के साथ मणिपुर में सरकार बनाई थी। बाद में जदयू के 5 विधायकों के शामिल होने के बाद राज्य में भाजपा विधायकों की संख्या 37 पर पहुंच गई।