चुनाव के बाद के एग्जिट पोल में गुजरात और हिमाचल प्रदेश राज्यों में बीजेपी की बड़ी जीत की भविष्यवाणी की जा रही है। पार्टी आलाकमान अब कर्नाटक में मजबूती से उभरने पर फोकस कर रहा है। बीजेपी के लिए कर्नाटक, दक्षिण भारत में प्रवेश का द्वार है। राज्य में चार महीने के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी आलाकमान चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी में तेजी से बदलाव कर सकता है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल विस्तार सहित पार्टी के भीतर लंबे समय से लंबित मुद्दों पर बात होगी।
पार्टी आलाकमान सभी चुनावों में मजबूत हिंदुत्व और विकास के नारे के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर जहां पार्टी ने एक पूर्व मुख्यमंत्री समेत वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं दिया, कर्नाटक में भी इस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस डर से कि उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा, वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री और विधायक नई दिल्ली में अपने गॉडफादर के साथ पैरवी करने लगे हैं।
नलिन कुमार कतील ने कार्यकाल पूरा कर लिया है
राज्य में पार्टी के अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने कार्यकाल पूरा कर लिया है और दूसरे कार्यकाल की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, इस पद के लिए केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे, राष्ट्रीय महासचिव व बीजेपी विधायक सी.टी. रवि के नाम की चर्चा चल रही है। उम्मीद है कि पार्टी बीजेपी केंद्रीय समिति के सदस्य बी.एस. येदियुरप्पा के बेटे पार्टी उपाध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही। उन्हें राज्य कैबिनेट में 10 नए चेहरों में शामिल किया जा सकता है।
कांग्रेस को भी है सत्ता हासिल करने की उम्मीद
सूत्रों का यह भी दावा है कि बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह की जगह किसी और को मौका दिया जा सकता है। कांग्रेस पार्टी को भी आंतरिक सर्वेक्षणों के जरिए सत्ता हासिल करने के प्रबल आसार नजर आ रहे हैं। एआईसीसी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी कर्नाटक आईं और उसी पृष्ठभूमि में उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश करने के लिए एक-दूसरे से होड़ कर रहे हैं।
वहीं, जेडीएस पार्टी अगली सरकार के गठन में किंग मेकर बनने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। सत्तारूढ़ बीजेपी ने राज्य विधानसभा चुनावों में कभी साधारण बहुमत हासिल नहीं किया था, मगर इस बार पार्टी का लक्ष्य 'ऑपरेशन लोटस' के बिना सत्ता हासिल करना है।