Saturday, June 29, 2024
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BJP का स्पीकर..NDA का डिप्टी स्पीकर! राजनाथ सिंह के घर पर हुई बैठक में नामों पर चर्चा

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकसभा का स्पीकर बीजेपी का होगा जबकि डिप्टी स्पीकर का पद एनडीए के घटक दलों के पास जा सकता है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: June 19, 2024 8:28 IST
NDA Leaders- India TV Hindi
Image Source : FILE एनडीए के नेता

नई दिल्ली: लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के गठन के बाद अब लोकसभा स्पीकर के नामों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। सबसे पहले तो सवाल यह उठ रहा है कि स्पीकर का पद बीजेपी के पास रहेगा या एनडीए के घटक दलों के पास। इसे लेकर एनडीए में अब तस्वीर साफ होती जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकसभा का स्पीकर बीजेपी का होगा जबकि डिप्टी स्पीकर का पद एनडीए के घटक दलों के पास जा सकता है। बीजेपी हाईकमान ने एनडीए के सहयोगी दलों और विपक्ष के साथ बातचीत कर आम राय बनाने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी है। इसी क्रम में मंगलवार की शाम रक्षामंत्री के घर पर एनडीए के नेताओं की बैठक में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर चर्चा हुई।

24 जून से शुरू हो रह है पहला सत्र

बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, भूपेंद्र यादव, मनोहर लाल, धर्मेंद्र प्रधान, किरेन रीजीजू, एस जयशंकर, वीरेंद्र कुमार और अन्नपूर्णा देवी शामिल हुए। जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान सहित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के कुछ नेता भी इस बैठक में मौजूद थे। अठारहवीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा। इस दौरान निचले सदन के नए सदस्य शपथ लेंगे और फिर 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। 

सहयोगी दलों से विमर्श के बाद अंतिम फैसला

बता दें कि पिछली सरकार में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत था इसलिए एनडीए के अंदर स्पीकर स्पीकर पद को लेकर कोई खींचतान नहीं हुई था। बीजेपी ने ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष को स्पीकर बनाया था। लेकिन मौजूदा सरकार में बीजेपी एनडीए के सहयोगी दलो से विचार विमर्श के बाद ही अंतिम फैसला लेना चाहती है।

नेता विपक्ष और डिप्टी स्पीकर का पद खाली

उधर, विपक्षी दल इंडिया अलायंस की सीटें बढ़ने के साथ ही 10 साल बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी होगा। इससे पहले प्रमुख विपक्षी दल के पास इतने सांसद नहीं थे कि वे नेता विपक्ष का पद प्राप्त कर सकते थे। इसलिए विपक्ष का नेता पद 10 साल से खाली थी। वहीं  17वीं लोकसभा में पांच साल तक डिप्टी स्पीकर का पद भी खाली रहा। आमतौर पर यह विपक्ष को दिया जाता है।

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