भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करते हुए रविवार को विधानसभा की 60 सीटों में से 46 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया है। इस जीत का सारा श्रेय पेमा खांडू को जाता है। पेमा खांडू की राजनीतिक यात्रा एक व्यक्तिगत त्रासदी के बीच शुरू हुई। उनके पिता और अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री दोर्जी खांडू का 2011 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। पेमा खांडू वर्ष 2000 में कांग्रेस में शामिल हुए और जून 2011 में अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र मुक्तो से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विधानसभा उपचुनाव में निर्विरोध चुने गए।
खेल और संगीत के शौकीन पेमा खांडू पिछले कुछ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं, विशेषकर 2016 में पैदा हुए उस संवैधानिक संकट के बाद जिसके कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था। खांडू कुशल चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी छवि बनाने में भी सफल रहे हैं। अपनी रणनीति की बदौलत ही उन्होंने इस पूर्वोत्तर राज्य में कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) फिर से खिलाया है।
जीत के बाद जनता को दिया धन्यवाद
पेमा खांडू का राजनीतिक करियर
पेमा खांडू मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार में जल संसाधन विकास और पर्यटन मंत्री बने थे। जनवरी 2016 में उस संवैधानिक संकट के बाद उनके नेतृत्व का दायरा तेजी से बढ़ा था, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। जब केंद्र का शासन हटा तो वह भाजपा समर्थित कलिखो पुल के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने। यह सरकार हालांकि कुछ ही समय तक चली। हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से तुकी सरकार को बहाल कर दिया गया लेकिन तुकी ने शीघ्र ही इस्तीफा दे दिया। इसके बाद मात्र 37 वर्ष की आयु में खांडू जुलाई, 2016 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये।
चीन की सीमा से लगते इस महत्वपूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में पद संभालने के बाद से खांडू और उनके मंत्रिमंडल ने दो बार अपनी पार्टी बदली है-कांग्रेस से पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (पीपीए) में और फिर भाजपा में, वह भी महज पांच महीने के अंतराल में। उनके कार्यकाल के मात्र तीन महीने बाद ही सत्तारूढ़ कांग्रेस के 43 विधायक भाजपा की सहयोगी पीपीए में शामिल हो गए थे। वर्ष 2019 में खांडू ने दूसरी बार मुक्तो विधानसभा सीट से जीत हासिल की और बिना किसी राजनीतिक अड़चन के मुख्यमंत्री बने।
रफी और किशोर के गाने हैं पसंद
राजनीति से परे खांडू एक संगीत प्रेमी हैं तथा आधिकारिक समारोहों में किशोर कुमार और मोहम्मद रफी के गीत गाकर श्रोताओं का मन मोह लेते हैं। खेल, खांडू के अन्य जुनूनों में से एक है, जिसमें वे सक्रिय रूप से क्रिकेट टूर्नामेंटों का आयोजन करते हैं और स्थानीय एथलीट का समर्थन करते हैं तथा फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन और वॉलीबॉल सहित विभिन्न खेलों में प्रतिभाओं को बढ़ावा देते हैं।
दिल्ली के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक खांडू मोनपा जनजाति से आते हैं, जो मुख्य रूप से तवांग और पश्चिमी कामेंग के कुछ हिस्सों में निवास करती है। बौद्ध धर्म को मानने वाले 45 वर्षीय खांडू इस बार भी सीमावर्ती जिले तवांग की मुक्तो सीट से निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
(इनपुट-पीटीआई)