नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के बहाने कांग्रेस और गांधी परिवार पर बड़ा हमला बोला है। बीजेपी ने वाड्रा की जमीन खरीद से जुड़े एक मामले में राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने का हवाला देते हुए मंगलवार को गांधी परिवार को ‘कट्टर पापी परिवार’ और भारतीय राजनीति का ‘सबसे भ्रष्ट परिवार’ करार दिया। बीजेपी ने कहा कि इस परिवार को एकमात्र काम भ्रष्टाचार करना और जमीन हड़पना है।
‘वाड्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप राजनीति से प्रेरित’
बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी को वाड्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए क्योंकि यह मामला उस समय का है जब उनकी पार्टी हरियाणा और राजस्थान के साथ साथ केंद्र की सत्ता में भी थी। कांग्रेस दावा करती रही है कि वाड्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। राजस्थान हाई कोर्ट ने वाड्रा और उनकी मां से जुड़ी एक कंपनी (स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी) द्वारा बीकानेर में कथित संदिग्ध तरीकों से जमीन खरीदने के मामले में ED की जांच निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका पिछले हफ्ते खारिज कर दी थी।
‘परिवार के 3 लोग भ्रष्टाचार के केस में जमानत पर हैं’
भाटिया ने आरोप लगाया, ‘यह भारत का 'कट्टर पापी परिवार' है। इसका एकमात्र काम भ्रष्टाचार करना और वाड्रा को सौंपने के लिए जमीन हड़पना है।’ उन्होंने वाड्रा के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई के कांग्रेस के दावे को भी खारिज कर दिया और कहा कि यह न्यायपालिका पर आक्षेप लगाने जैसा है, जिसने वाड्रा के खिलाफ आरोपों को खारिज करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘वे भारतीय राजनीति में सबसे भ्रष्ट परिवार हैं। परिवार के तीन सदस्य भ्रष्टाचार के मामलों में जमानत पर हैं। भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने वाली सरकार के लिए यह चिंता का गंभीर विषय है।’
‘राजस्थान में 2008-13 के बीच कांग्रेस की सरकार थी’
भाटिया का इशारा नैशनल हेरल्ड केस में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की ओर था। बीजेपी प्रवक्ता ने राजस्थान में वाड्रा के खिलाफ मामले का हवाला देते हुए कहा कि 2008-13 के बीच वहां कांग्रेस की सरकार थी और इस दौरान उसने जमीन अधिग्रहित की और उसे ऐसे लोगों के नाम आवंटित किया जिनका अस्तित्व ही नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी इकाइयों से जुड़े लेन-देन के माध्यम से जमीन का एक बड़ा हिस्सा उस कंपनी के स्वामित्व में चला गया, जिसमें वाड्रा और उनकी मां साझेदार थे।