भुवनेश्वर: बीजू जनता दल के नेता वीके पांडियन ने भुवनेश्वर में कहा कि ओडिशा के 5 बार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लेकर बड़ा बयान दिया है। पांडियन ने कहा कि पटनायक पुरी में श्रीमंदिर परिक्रमा प्रकल्प और पुरी विरासत गलियारा परियोजना, जिसे आम बोलचाल की भाषा में श्री जगन्नाथ कॉरिडोर भी कहा जाता है, के लिए दृढ़ संकल्पित थे। उन्होंने कहा कि पटनायक इस कॉरिडेर के लिए अपनी 24 साल पुरानी सरकार भी छोड़ने के लिए तैयार थे। बता दें कि पूर्व नौकरशाह पांडियन को पटनायक के करीबी सहयोगी के तौर पर जाना जाता है।
‘सरकार छोड़ दूंगा, लेकिन प्रोजेक्ट पूरा करूंगा’
पांडियन ने पटनायक के हवाले से कहा, ‘मैं जोखिम लूंगा, मैं अपनी सरकार छोड़ दूंगा, लेकिन मैं यह (प्रोजेक्ट) पूरा करूंगा।’ पांडियन 800 करोड़ रुपये के श्रीमंदिर परिक्रमा प्रकल्प और पुरी के जगन्नाथ मंदिर के आसपास हेरिटेज गलियारे के बारे में बोल रहे थे। इस प्रोजेक्ट का 2021 में शुरुआत से ही कई लोगों ने विरोध किया था। हालांकि पटनायक इसे दृढ़ संकल्प के साथ पूरा किया। पांडियन ने कहा, ‘किसी बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति ने सीएम से पूछा था कि क्या वह इसे करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं? क्योंकि इतने सालों में, कई लोगों ने कुछ भी नहीं किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इसे पूरा करने को लेकर काफी गंभीर हूं।’
‘लोगों ने मुझे बहुत प्यार और स्नेह दिया है’
पांडियन ने कहा, ‘उस व्यक्ति ने फिर कहा कि इसमें बहुत बड़ा राजनीतिक जोखिम है क्योंकि मैंने ऐसे मुख्यमंत्रियों को देखा है जिन्होंने पूरे उत्साह के साथ परियोजना शुरू की और फिर 15 दिन या एक महीने बाद बंद कर दिया, क्योंकि वे जानते थे कि वे ऐसी मुश्किल में फंस सकते हैं जिससे उनका राजनीतिक करियर खत्म हो सकता है और सरकार गिर भी सकती है।’ पांडियन के मुताबिक, पटनायक ने उस व्यक्ति से कहा,‘यह मेरा पांचवां कार्यकाल है। लोगों ने मुझे बहुत प्यार और स्नेह दिया है। उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया है।’
‘...तो इतिहास में मेरा आंकलन सही नहीं होगा’
पटनायक ने कहा, ‘लोगों के मन में भगवान जगन्नाथ के प्रति भी अगाध प्रेम और श्रद्धा है, ऐसे में अगर मैं मुझ पर भरोसा जताने वाले लोगों के लिए ऐसा नहीं करता हूं, तो मुझे लगता है कि इतिहास में मेरा आंकलन सही से नहीं होगा। मैं जोखिम लूंगा, मैं अपनी सरकार छोड़ दूंगा, लेकिन यह काम अवश्य करवाऊंगा।’ पांडियन ने कहा कि पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 12वीं शताब्दी के मंदिर के लिए 700 वर्ष के बाद कुछ किया गया है। पांडियन ने कहा, ‘गजपति को पुरी का राजा माना जाता है और वह मंदिर के ‘कर्ता’ भी हैं।’