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नीतीश के वोट बैंक पर है BJP की निगाहें, जानें बिहार की राजनीति में कैसे खास हो गए हैं कुशवाहा

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही महागठबंधन सरकार की सबसे मजबूत पार्टी वैसे तो आरजेडी है लेकिन भाजपा को इस बात का अहसास हो गया है कि राज्य में पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए या यूं कहे कि भाजपा की जीत का रास्ता नीतीश कुमार के वोट बैंक में ही सेंध लगाने से निकलेगा।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: April 02, 2023 17:06 IST
samrat choudhary- India TV Hindi
Image Source : PTI सम्राट चौधरी

नई दिल्ली: बिहार में महागठबंधन को हराने के लिए भाजपा आलाकमान ने अब पूरी तरह से कमर कस ली है। भाजपा के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती 2024 का लोकसभा चुनाव है। इस चुनाव में बिहार में जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस और अन्य दलों की महागठबंधन सरकार को हरा कर भाजपा 2025 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी अपने पक्ष में सकारात्मक माहौल बनाना चाहती है। लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने अब लंबे समय तक अपने सहयोगी रहे नीतीश कुमार के वोट बैंक पर ही नजर गड़ा दी है।

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही महागठबंधन सरकार की सबसे मजबूत पार्टी वैसे तो आरजेडी है लेकिन भाजपा को इस बात का अहसास हो गया है कि राज्य में पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए या यूं कहे कि भाजपा की जीत का रास्ता नीतीश कुमार के वोट बैंक में ही सेंध लगाने से निकलेगा। ऐसे में भाजपा अब उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी एक नया सामाजिक राजनीतिक समीकरण या यूं कहें कि वोट बैंक बनाने की कोशिश में जुट गई है।

क्या है बीजेपी की रणनीति?

नीतीश कुमार गैर यादव पिछड़ी जातियों, दलित समुदाय और मध्यम वर्ग के एक बड़े तबके खासकर महिलाओं के समर्थन के बल पर बिहार में भाजपा के सहयोग से लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में आरजेडी के सहयोग से मुख्यमंत्री हैं। भाजपा ने एक खास रणनीति के तहत अब नीतीश कुमार के इसी वोट बैंक पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। भाजपा ने बिहार में महागठबंधन की सरकार को हटाने के लिए एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एक नए सामाजिक राजनीतिक समीकरण को तैयार करने की रणनीति बनाई है, जिसके तहत भाजपा अपने परंपरागत जनाधार- अगड़ी जातियों को तो मजबूती से अपने साथ बनाए रखने का प्रयास करेगी ही तो वहीं साथ ही नीतीश के समर्थक पिछड़ी जातियों को भी पार्टी से जोड़ने की कोशिश करेगी।

सबसे बड़ा और ठोस वोट बैंक है कुशवाहा समुदाय
बिहार की राजनीति के लिहाज से देखा जाए तो यह अपनी तरह का एक अनोखा सामाजिक राजनीतिक समीकरण होगा। बिहार में जातियों की बात करें तो, यादव समुदाय के बाद कुशवाहा समुदाय को सबसे बड़ा और सबसे ठोस वोट बैंक माना जाता है जो लगातार नीतीश कुमार के साथ रहा है। बिहार की आबादी में कुशवाहा समाज की संख्या आठ प्रतिशत के लगभग है।

सम्राट चौधरी के जरिए BJP ने दिया ये मैसेज
भाजपा ने हाल ही में कुशवाहा समुदाय से जुड़े सम्राट चौधरी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अपने इरादे को जाहिर भी कर दिया है। भाजपा नीतीश कुमार पर यह आरोप लगा रही है कि कुशवाहा समाज ने हमेशा नीतीश कुमार का साथ दिया लेकिन बदले में नीतीश कुमार ने उन्हें सिर्फ धोखा ही दिया है। सम्राट चौधरी के जरिए बिहार के कुशवाहा मतदाताओं को यह राजनीतिक संदेश देने का प्रयास भी किया जा रहा है कि राज्य में यादव और कुर्मी मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अब उनके समाज के किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनना चाहिए।

चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा पर भी बीजेपी की निगाहें
कुशवाहा समाज के साथ-साथ भाजपा राज्य में अत्यंत पिछड़ा वर्ग में आने वाले कुछ ऐसी जातियों को भी पार्टी के साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है, जिनकी संख्या चुनावी रणनीति के हिसाब से बहुत ज्यादा भले ही ना हो लेकिन अगर यह जातियां मिलकर भाजपा को वोट देती है तो उसके उम्मीदवारों की जीत की राह और ज्यादा आसान हो जाएगी। यही वजह है कि भाजपा ने अब बिहार में जातिगत जनाधार रखने वाले छोटे-छोटे राजनीतिक दलों पर भी फोकस करना शुरू कर दिया है। इसी रणनीति के तहत भाजपा की निगाहें चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी, जीतन राम मांझी और आरसीपी सिंह जैसे नेताओं पर बनी हुई है।

बिहार बीजेपी की रणनीति में बदलाव
भाजपा इस बार इन छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर लोकसभा चुनाव में उतरने का मंसूबा बना रही है। मध्यम वर्ग और महिलाओं में नीतीश कुमार की लोकप्रियता को कम करने के लिए भाजपा लगातार राज्य में फेल हो चुकी शराबबंदी, नकली शराब से हो रही लोगों की मौत और लगातार बिगड़ रही कानून व्यवस्था के मसले को जोर-शोर से उठा रही है। यहां तक की भाजपा नीतीश कुमार की अपनी जाति कुर्मी समुदाय को भी लुभाने के प्रयास कर रही है। यादव समाज से आने वाले नित्यानंद राय को पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री बनाया हुआ है। भाजपा की कोशिश बिहार में अगड़ी जातियों और अत्यंत पिछड़ी जातियों का एक ऐसा वोट बैंक तैयार करना है, जिसके सहारे पार्टी बिहार में मजबूत जनाधार वाली महागठबंधन सरकार को परास्त कर सकें।

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अगर भाजपा राज्य में इस तरह का जातीय राजनीतिक सामाजिक समीकरण तैयार करने में कामयाब हो जाती है तो फिर देश के कई अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 50 प्रतिशत के आसपास मत प्राप्त कर सकती है और अगर ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा एक बड़े दावेदार के रूप में नीतीश-तेजस्वी महागठबंधन के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेगी।

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