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Bharatiya Janata Party: बीजेपी ने बदली चुनावी रणनीति, चुनावों में नहीं पेश करेगी मुख्यमंत्री का चेहरा

Bharatiya Janata Party: अगले लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले लगभग एक दर्जन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा मौजूदा मुख्य मंत्रियों को छोड़कर अन्य राज्यों में किसी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाएगी।

Written By: Sudhanshu Gaur
Updated on: July 10, 2022 10:02 IST
BJP National Executive Meeting- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/BJP4INDIA BJP National Executive Meeting

Highlights

  • अगले 2 सालों में होने हैं कई राज्यों में विधानसभा चुनाव
  • हैदराबाद में हुई थी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक
  • इससे पहले जयपुर में पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकरियों की भी बैठक हो चुकी है

Bharatiya Janata Party: हैदराबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को जमीनी स्वरूप देना शुरू कर दिया है। पार्टी अगले 2 सालों में विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी हैं। कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी इस बार अलग रणनीति के साथ उतरेगी। जिसके बारे में गत दिनों हुई कार्यकारिणी बैठक में विस्तार से चर्चा की गई और इस पर शीर्ष नेतृत्व ने अपनी सहमति भी जता दी, जिसके बाद योजना ने मूर्त रूप लेना शुरू कर दिया है। 

अगले लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले लगभग एक दर्जन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा मौजूदा मुख्यमंत्रियों को छोड़कर अन्य राज्यों में किसी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाएगी। पार्टी की रणनीति सामूहिक नेतृत्व में चुनाव में जाने की है, ताकि पूरी ताकत से जीत की तैयारी की जा सके। इन राज्यों में बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी। चुनावों के बाद ही आगे का नेतृत्व तय किया जाएगा। इससे पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी जमीन मजबूत कर सकेगी और चुनावों में गुटबाजी से भी बच सकेगी।

11 राज्यों में होने हैं विधानसभा चुनाव 

आपको बता दें कि आगामी दो साल में 11 राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें पांच राज्यों गुजरात, हिमाचल, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में भाजपा की अपनी सरकारें हैं, जबकि तीन राज्यों मेघालय, नगालैंड व मिजोरम में उसके सहयोगी सरकार में है। इसके अलावा तीन राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विपक्षी दल सत्ता में है। इन तीनों राज्यों में भाजपा को सत्ता हासिल करने के लिए कड़ा मुकाबला करना है। इनमें दो राज्यों में कांग्रेस और एक में टीआरएस की सरकार है।

राजस्थान और तेलंगाना में की दो बड़ी बैठकें

भले ही चुनाव अभी दूर हों लेकिन पार्टी ने काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी की मातृत्व संस्था कहे जाने वाले आरएसएस के कार्यकर्ता ग्राउंड जीरो पर बीजेपी के लिए चुनावी जमीन बनाने लगे हैं। भाजपा ने विपक्षी सत्ता वाले तीनों राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के लिए अपनी रणनीति को धार देने शुरू कर दी है। पार्टी ने हाल में अपनी दो बड़ी बैठकें राजस्थान और तेलंगाना में की है। राजस्थान के जयपुर में पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक हुई थी और उसके लगभग एक महीने बाद तेलंगाना के हैदराबाद में पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर चुनाव अभियान को तेज किया है।

सामूहिक नेतृत्व होगा, कोई एक चेहरा नहीं

इन 11 विधानसभा के चुनाव में पांच में भाजपा के अपने मुख्यमंत्री हैं। इनमें गुजरात में भूपेंद्र पटेल, हिमाचल में जयराम ठाकुर, त्रिपुरा में माणिक साहा, मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और कर्नाटक में बसवराज बोम्मई शामिल है। पार्टी इनके नेतृत्व में ही इन राज्यों में चुनाव में जाएगी, हालांकि नई रणनीति के तहत फिर से मुख्यमंत्री बनाने के वादे से बचने की कोशिश करेगी। 

लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी मुश्किल में 

वहीं विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों में बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वो किसी भी एक नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं करेगी। इससे पार्टी गुटबाजी से बचना चाहती है। लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और रमन सिंह को नकारना मुश्किल है। इनके बारे में ऐसा माना जाता है कि दोनों नेताओं की पार्टी और उसके विधायकों पर मजबूत पकड़ है। दोनों नेता पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अभी भी अपने-अपने राज्यों में सक्रिय भी हैं। जिससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ी हैं। लेकिन पार्टी के सूत्रों का कहना है कि इसके बावजूद भी पार्टी अपनी रणनीति पर ही चलेगी और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जायेगा।

 

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