नई दिल्ली: एससी-एसटी रिजर्वेशन में क्रीमलेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देशभर के विभिन्न संगठन आज भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतर पड़े हैं। भारत बंद के इस आह्वान को कई राजनीतिक दलों ने भी समर्थन दिया है। वहीं कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध भी किया है।
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने साफ तौर पर कहा कि वे इस भारत बंद का समर्थन नहीं करेंगे। कुछ खास लोग इस आंदोलन को अपने स्वार्थ के लिए चला रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आर्थिक तौर पर संपन्न कुछ दलित झूठी बात करके रिजर्वेशन को खत्म करने का भ्रम फैला रहे हैं। कई दलित समुदाय के लोग अभी भी अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं। मांझी ने कहा, 'जो लोग आज बंद का समर्थन कर रहे हैं, वे वही हैं जिन्होंने पहले भी आरक्षण के नाम पर अपनी स्थिति को मजबूत किया और बाकी दलित समुदाय को पीछे छोड़ दिया।' मांझी ने कहा कि कुछ दलित आरक्षण का फासदा उठाकर बेहतर जीवन जी रहे हैं।
एनडीए के सहयोगी लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भारत बंद का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस बंद को हमारा पूरा समर्थन रहेगा। चिराग पासवान ने कहा कि जब तकि समाज में एसी और एसटी के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है तब तक एससी/एसटी को सब-कैटेगरी में आरक्षण और क्रीमीलेयर जैसे प्रावधान नहीं होने चाहिए।
किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि केवल कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए एससी-एसटी को गमहार कर उन्हें भड़काना चाहते हैं। यह उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ऑब्जेवेशन दिया कि क्रीमीलेयर पर विचार किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई और कहा कि हम किसी तरह की क्रीमीलेयर को लागू नहीं करेंगे। किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि क्रीमीलेयर पर मैं सुप्रीम कोर्ट की भावना के साथ हूं।
उधर, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भारत बंद का समर्थन किया है। उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस आदि राजनीतिक दलों पर निशाना साधा है और बीएसपी कार्यकर्ताओं से ये अपील की है कि वे अनुशासित व शान्तिपूर्ण तरीके से भारत बंद में शामिल हों। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे भारत बंद के तहत सरकार को ज्ञापन देकर संविधान संशोधन के जरिए आरक्षण में हुए बदलाव को खत्म करने आदि की मांग करें। उन्होंने कहा, 'एससी-एसटी के साथ ही ओबीसी समाज को भी आरक्षण का मिला संवैधानिक हक इन वर्गों के सच्चे मसीहा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अनवरत संघर्ष का परिणाम है, जिसकी अनिवार्यता व संवेदनशीलता को भाजपा, कांग्रेस व अन्य पार्टियां समझकर इसके साथ भी कोई खिलवाड़ न करें।'