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जगदीप धनखड़-ममता बनर्जी फिर आमने-सामने, गवर्नर ने विधानसभा सत्र बुलाने की CM की सिफारिश लौटाई

राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक वीडियो ट्वीट में कहा, "संविधान राज्यपाल को कैबिनेट की सिफारिश पर सदन का सत्र बुलाने की अनुमति देता है। यह संविधान में लिखा गया है और यह प्रक्रिया रूल ऑफ बिजनेस में भी निर्धारित है।"

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 19, 2022 21:35 IST
Mamata Banerjee and Jagdeep Dhankhar- India TV Hindi
Image Source : PTI Mamata Banerjee and Jagdeep Dhankhar

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर आमने-सामने हो गए हैं। ममता ने 7 मार्च से विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश भेजी, जिसे धनखड़ ने मंजूरी दिए बिना वापस कर दिया और कहा कि यह प्रस्ताव संवैधानिक मानदंडों को पूरा नहीं करता। राज्यपाल ने एक वीडियो ट्वीट में कहा, "संविधान राज्यपाल को कैबिनेट की सिफारिश पर सदन का सत्र बुलाने की अनुमति देता है। यह संविधान में लिखा गया है और यह प्रक्रिया रूल ऑफ बिजनेस में भी निर्धारित है।"

राज्यपाल ने कहा, "सरकार ने मुझे 17 फरवरी को एक फाइल भेजी थी, जिसमें 7 मार्च को विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की गई थी। हालांकि, उस पर केवल मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर थे। इस स्थिति में कैबिनेट के फैसले की भूमिका आवश्यक है।" उन्होंने कहा, "मेरे पास एकमात्र विकल्प यह था कि फाइल सरकार को वापस भेज दी जाए, ताकि वे इसे संवैधानिक अनुपालन के साथ फिर से भेज सकें। जैसे ही फाइल दोबारा आएगी, मामले पर संविधान के अनुसार विचार किया जाएगा।"

राज्यपाल ने अपने ट्वीट में भी लिखा, "माननीय सीएम ममता बनर्जी की 7 मार्च को विधानसभा बुलाने की सिफारिश को संवैधानिक अनुपालन के लिए वापस करना पड़ा, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 166 (3) के तहत नियमों के उचित अनुपालन के बाद कैबिनेट द्वारा की गई सिफारिश पर ही विचार किया जाएगा।" राज्यपाल ने अपने ट्वीट के साथ सरकार को लिखा एक पत्र संलग्न किया, जिसमें लिखा था, फाइल वापस भेजना संवैधानिक अनुपालन के लिए एकमात्र विकल्प था।

इस मसले पर निराशा व्यक्त करते हुए टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि धनखड़ पहले 'फाइलों पर बैठे' थे, जिन्हें जनप्रतिनिधियों द्वारा विधिवत अनुमोदित किया गया था और विधानसभा सत्र के लिए सिफारिश वापस करना 'प्रशासनिक कार्य को रोकने' का उनका यह नया कदम है। रॉय ने कहा, "उन्होंने बल्ली नगरपालिका के निर्माण की मांग वाले विधेयक को भी रोक दिया है। सदन को बुलाने की सिफारिश संसदीय मामलों के मंत्री द्वारा उचित समर्थन के साथ मुख्यमंत्री द्वारा की गई है। उन्होंने कैसे अनुमान लगाया कि इसे कैबिनेट की मंजूरी नहीं थी?"

राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा, "राज्यपाल समानांतर प्रशासन चलाने की कोशिश कर रहे हैं और वह शायद चुनाव में हार से उपजी गहरी निराशा के कारण ऐसा कर रहे हैं।"

(इनपुट- एजेंसी)

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