Tuesday, November 05, 2024
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Azam Khan got punishment: तीन साल की सजा मिलते ही अब जाएगी आजम खान की विधायकी, जानें क्या कहता है RPA एक्ट

Azam Khan got punishment: भड़काऊ भाषण मामले में यूपी के रामपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान को एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है। साथ ही इस मामले में उन्हें तीन साल की सजा सुनाई है। इस सजा के ऐलान के साथ ही अब आजमखान की विधायकी भी चली जाएगी।

Reported By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: October 27, 2022 18:53 IST
सपा नेता आजम खान- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV सपा नेता आजम खान

Highlights

  • भड़काऊ भाषण मामले में सपा नेता को एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई तीन वर्ष की सजा
  • आरपीए एक्ट के तहत सजा मिलते ही गई आजमखान की विधानसभा सदस्यता
  • सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में लिली थॉमस की याचिका पर आरपीए एक्ट में कर दिया था यह अहम संशोधन

Azam Khan got punishment: भड़काऊ भाषण मामले में यूपी के रामपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान को एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है। साथ ही इस मामले में उन्हें तीन साल की सजा सुनाई है। इस सजा के ऐलान के साथ ही अब आजमखान की विधायकी भी चली जाएगी। यानि अब आजमखान विधायक नहीं रह जाएंगे। साथ ही वह भविष्य में भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। ऐसा रिप्रजेंटेंशन ऑफ द पीपल्स (आरपीए) एक्ट 1951 के तहत हुआ है। क्या कहता है आरपीए एक्ट ?...आइए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने एडवोकेट ज्ञानंत सिंह ने बताया कि आरपीए एक्ट के सेक्शन-8 के तहत पहले यह प्रावधान था कि यदि किसी व्यक्ति को किसी मामले में सजा मिल जाती थी तो वह विधायक और सांसद का चुनाव नहीं लड़ सकता था। मगर इसके सेक्शन 8 (4) में एक अपवाद भी था कि यदि कोई मौजूदा विधायक या सांसद है और उसे किसी मामले में सजा मिल गई तो वह अपना बाकी बचा हुआ टर्म पूरा कर लेता था। यानि यदि किसी ऐसे शख्स को सजा हुई जो एक साल या उससे अधिक समय तक विधायक या सांसद रहा है तो उस पर यह कानून तत्काल प्रभाव से लागू नहीं होता था। ऐसे में वह बाकी के कार्यकाल को पूरा कर लेता था। हालांकि बाद में वह भी चुनाव नहीं लड़ सकते थे। इस प्रकार आरपीए एक्ट का सेक्शन 8 (4) एमपी-एमएलए को प्रोटेक्शन देता था। जबकि सामान्य लोगों पर जिन्हें सजा मिल गई, वह उन पर तत्काल प्रभाव से यह कानून लागू होता था और वह एमपी-एमएलए का चुनाव तत्काल प्रभाव से नहीं लड़ सकते थे। इस प्रकार यह कानून सामान्य नागरिकों और एमपी-एमएलए में भेद-भाव पैदा करने वाला था। जबकि सामान्य नागरिकों और एमपी-एमएलए के लिए दो अलग कानून नहीं हो सकते।

अब दो साल सजा मिली तो नहीं रह सकते विधायक या सांसद

एडवोकेट ज्ञानंत सिंह के अनुसार लिली थॉमस केस में सुप्रीम कोर्ट ने आरपीए एक्ट के सेक्शन 8 (4) को डिफाइन करते हुए बाद में इसमें संशोधन कर दिया था। यानि एमपी-एमएलए को विशेष छूट देने वाले आरपीए एक्ट के सेक्शन 8(4) को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। अब इसके अनुसार यदि किसी एमपी या एमएलए को किसी आपराधिक मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता भी संसद या विधानमंडल से रद्द कर दी जाती है। जबकि पहले सजा मिलने पर बाकी का बचा हुआ टर्म पूरा करने का मौका मिल जाता था। अब सदस्यता जाने के साथ ही आगे एमपी-एमएलए के चुनाव लड़ने पर भी  रोक लग जाती है। उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ मामलों में दो साल से कम सजा मिलने पर भी संसद और विधानमंडल की सदस्यता जा सकती है।  

वर्ष 2013 में लिली थॉमस केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
एडवोकेट लिली थॉमस और लोक प्रहरी संस्था के महासचिव एसएन शुक्ला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आपराधिक मामलों में सजा पाने वाले विधायकों और सांसदों को संसद और विधानमंडल की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की बेंच ने यह लैंड मार्क फैसला सुनाया, जिसके अनुसार किसी आपराधिक मामले में दो वर्ष या उससे अधिक सजा मिलने पर मौजूदा विधायक और सांसदों की सदस्यता भी चली जाती है और उन्हें संसद या विधानमंडल जिसके भी वह सदस्य हैं, वहां से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।

अब आजम खान के पास क्या विकल्प
एडवोकेट ज्ञानंत सिंह के अनुसार तीन साल की सजा मिलते ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार आरपीए एक्ट के तहत आजम खान की विधानसभा की सदस्यता अब रद्द कर दी जाएगी। हालांकि आगे उनके पास हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार है। यदि हाईकोर्ट उनकी सजा पर रोक लगा देता है तो यह बरकरार रह सकती है।

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