Sunday, November 24, 2024
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'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए कम से कम इन पांच संविधान संशोधनों की जरूरत होगी, जानें डिटेल्स

वन नेशन, वन इलेक्शन को देश में लागू करने के रास्ते में कई कानूनी अड़चनें हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है। इस लेख में हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि वो कौन सी कानूनी अड़चनें हैं जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: September 01, 2023 15:02 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर- India TV Hindi
Image Source : फाइल प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:  केंद्र सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन की योजना को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए एक कमिटी का गठन किया है।  लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए कम से कम पांच संवैधानिक संशोधनों और बड़ी संख्या में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) व पेपर ट्रेल मशीनों की जरूरत होगी, जिन पर ‘हजारों करोड़ रुपये’ की लागत आएगी। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। संसद की एक समिति ने निर्वाचन आयोग सहित विभिन्न हितधारकों के परामर्श से एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे की जांच की थी। अधिकारियों ने बताया कि समिति ने इस संबंध में कुछ सिफारिशें की हैं। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए ‘व्यावहारिक रूपरेखा और ढांचा’ तैयार करने के लिए यह मामला अब विधि आयोग के पास भेजा गया है। 

सरकारी खजाने को भारी बचत 

अधिकारियों ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से सरकारी खजाने को भारी बचत होगी और बार-बार चुनाव कराने में प्रशासनिक और कानून व्यवस्था मशीनरी की ओर से किए जाने वाले प्रयासों की पुनरावृत्ति से बचा जा सकेगा। यह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को उनके चुनाव अभियानों में काफी बचत लाएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। इससे लोकसभा चुनाव का समय आगे बढ़ने की संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं ताकि इन्हें कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही संपन्न कराया जा सके। 

पांच अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता 

अधिकारियों ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों (उपचुनावों सहित) के परिणामस्वरूप आदर्श आचार संहिता लंबे समय तक लागू होती है और इसका विकासात्मक और कल्याणकारी कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के कम से कम पांच अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता होगी। इनमें संसद के सदनों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा भंग करने से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य विधानसभाओं की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172, राज्य विधानसभाओं के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174 और अनुच्छेद 356 जो राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित है। इसके साथ ही भारत की शासन प्रणाली के संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति की भी आवश्यकता होगी।

राज्य सरकारों की आम सहमति

 इसके अलावा, यह जरूरी है कि सभी राज्य सरकारों की आम सहमति प्राप्त की जाए। इसके लिए अतिरिक्त संख्या में ईवीएम और वीवीपीएटी (पेपर ट्रेल मशीन) की भी आवश्यकता होगी, जिसकी लागत ‘हजारों करोड़ रुपये’ होगी। एक मशीन का जीवन केवल 15 साल के होता है, इसका मतलब यह होगा कि एक मशीन का उपयोग उसके जीवन काल में लगभग तीन या चार बार किया जा सकेगा। उन्हें हर 15 साल में बदलने की आवश्यकता होगी। इस व्यापक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की भी आवश्यकता होगी।

 विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी संसद की स्थायी समिति ने अपनी 79वीं रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला था कि दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव पांच साल के लिए एक साथ होते हैं और नगरपालिका चुनाव दो साल बाद होते हैं। स्वीडन में, संसद (रिक्सडैग) और प्रांतीय विधायिका/ काउंटी परिषद (लैंडस्टिंग) और स्थानीय निकायों / नगरपालिका विधानसभाओं (कोम्मुनफुलमाक्टिगे) के चुनाव एक निश्चित तारीख पर आयोजित किए जाते हैं। ब्रिटेन में, संसद का कार्यकाल निश्चित अवधि के संसद अधिनियम, 2011 द्वारा शासित होता है। (भाषा)

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