वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। सर्वे में कई बड़े चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि ASI ने कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। यह ASI का निर्णायक निष्कर्ष है। एएसआई की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से ही अब ज्ञानवापी का मुद्दा गरमाने लगा है। इस पूरे मामले पर AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भी बयान सामने आया है।
रिपोर्ट पर भड़के ओवैसी
एएसआई रिपोर्ट के एक हिस्से में कहा गया है कि वैज्ञानिक अध्ययन/सर्वेक्षण के आधार पर वास्तुशिल्प अवशेषों, उजागर विशेषताओं और कलाकृतियों शिलालेखों, कला और मूर्तियों का अध्ययन किया गया। यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा है कि यह रिपोर्ट पेशेवर पुरातत्वविदों या इतिहासकारों के किसी भी समूह के सामने अकादमिक जांच में टिक नहीं पाएगा। रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मज़ाक उड़ाती है। जैसा कि एक महान विद्वान ने एक बार कहा था एएसआई हिंदुत्व की गुलाम है।
सर्वे में क्या-क्या मिला?
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर ने कहा है कि ASI ने कहा है कि वहां पर 34 शिलालेख है जहां पर पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के थे। जो पहले हिंदू मंदिर था उसके शिलालेख को पुन: उपयोग कर ये मस्जिद बनाया गया। इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख मिले हैं। इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम मिलते हैं। ASI ने कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। यह ASI का निर्णायक निष्कर्ष है।
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