राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 3 मई को अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। अशोक गहलोत ने इसी के साथ राजनीति के 51 साल अब पूरे कर लिए हैं। शांत स्वभाव, मजाकिया अंदाज, मजबूत इरादे और गंभीर सोच रखने वाले अशोक गहलोत कांग्रेस के उन दिग्गज नेताओं में शामिल हैं, जो गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। 3 मई 1951 को अशोक गहलोत का जन्म राजस्थान के जोधपुर में हुआ। उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई करने बाद जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। कहते हैं कि अशोक गहलोत बचपन से ही प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी में विज्ञान संकाय और कानून से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। स्नातक के बाद उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल की।
छात्र राजनीति से शुरू हुआ सफर
अशोक गहलोत ने आम आदमी से मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया। यह सफर आसान नहीं था। इसकी नींव उनके कॉलेज के ही दिनों में पड़ गई थी। छात्र राजनीति से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। साल 1973 में वो एनएसयूआई में शामिल हो गए। इसके बाद साल 1973 से 1979 तक वो एनएसयूआई राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। साल 1979 से 1982 तक वो जोधपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। जब उनकी उम्र मात्र 26 साल थी, तब उन्होंने पहला चुनाव सरदारशहर से लड़ा। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। साल 1980 में उन्हें कांग्रेस ने लोकसभा का उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में उन्हें जीत मिली। साल 1980 के अलावा, 1984, 1991, 1996, 1998 तक लगातार 5 बार सांसद चुने गए। कांग्रेस पार्टी नीत केंद्र सरकार में वह कई अहम मंत्रीमंडल में शामिल थे। साथ ही कई अहम जिम्मेदारियों का भी निर्वहन किया।
राजनीति के जादूगर के 51 साल पूरे
अशोक गहलोत का नाम लेते हैं दिमाग में एक साधारण व्यक्ति की छवि बनती है, जो गांधीवादी सोच रखता है, राजनीति में माहिर है, कभी-कभार मजाक भी कर लेता है। अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है। कई मौकों पर उन्होंने इसे साबित किया है। उनके खिलाफ राजनीति कितनी भी हो, अशोक गहलतो उससे पार पाना जानते हैं। बता दें कि साल 1988 में कांग्रेस को राजस्थान में 153 सीटें मिलीं। इस दौरान कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने अशोक गहलोत को सीएम पद के लिए चुना। पहली बार 1998 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनें। बता दें कि अशोक गहलोत माली समाज से आते हैं। इनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह है। माली समाज की भूमिका राजस्थान की राजनीति में ज्यादा नहीं रही है। हालांकि राजनीति के जादूगर ने इसे बदल दिया। साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर बहुमत मिला। दूसरी बार अशोक गहलोत को सीएम चुना गया। इसके बाद साल 2018 में कांग्रेस को जब फिर बहुमत मिला तो अशोक गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया।
अशोक गहलोत की राजनीतिक जमापूंजी
अशोक गहलोत का राजनीतिक जीवन आसान नहीं था। एक तरफ जहां उन्हें विरोधी दलों के खिलाफ लड़ाई लड़नी थी। वहीं दूसरी तरफ पार्टी के भीतर की भी राजनीति से उन्हें कई बार जूझना पड़ा। कई बार ऐसे मौके आए जब लगा कि अशोक गहलोत का राजनीतिक सफर खतरे में हैं। लेकिन राजनीति के जादूगर ने अपने जादू से सबकुछ संभाल लिया। 27 नवंबर 1977 को अशोक गहलोत का विवाह सुनीत गहलोत के साथ हुआ। बता दें कि अशोक गहलोत के दो बच्चे हैं वैभव गहलोत और सोनिया गहलोत। साल 1971 में जब बांग्लादेश युद्ध जारी था। उस समय अशोक गहलोत ने 24 परगना जिले में शरणार्थी शिविरों में जमकर समाज सेवा की थी। अशोक गहलोत के राजनीतिक जीवन की कुल जमापूंजी की अगर बात करें तो वो 5 बार सांसद, तीन बार केंद्रीय मंत्री, 3 बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष, 2 बार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, 5 बार विधायक और तीन बार मुख्यमंत्री के पद पर रह चुके हैं।