Highlights
- ओवैसी ने बीजेपी सरकार पर साधा निशाना
- टीपू से चिढ़ गई है बीजेपी, अंग्रेजों से लड़े थे 3 युद्ध
- टीपू सुपरफास्ट एक्सप्रेस का नाम बदलकर रख दिया वोडयार एक्सप्रेस
Asaduddin Owaisi: भारतीय रेलवे ने मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान के नाम पर चलने वाली टीपू सुपरफास्ट एक्सप्रेस का नाम बदलकर वोडयार एक्सप्रेस रख दिया है। इस पर एआईएमआईएम के सुप्रीमो असदु्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि बीजेपी सरकार ने टीपू एक्सप्रेस का नाम बदलकर वोडेयार एक्सप्रेस कर दिया। टीपू से बीजेपी चिढ़ गई है। क्या इसलिए कि टीपू ने ब्रिटिश आकाओं के खिलाफ 3 युद्ध लड़े थे। उन्होंने कहा कि भले ही बीजेपी ट्रेन का नाम बदल दे, लेकिन वह कभी टीपू की विरासत को मिटा नहीं पाएगी।
गौरतलब है कि रेलवे ने मैसूर के शासक के नाम पर चलने वाली ट्रेन टीपू सुपरफास्ट का नाम बदलकर वोडयार एक्सप्रेस कर दिया है। ट्रेन का नाम बदले जाने को लेकर कर्नाटक में सियासी बवाल खड़ा हो गया है। कांग्रेस का आरोप है कि BJP समाज में द्वेष बढ़ाने की राजनीति कर रही है। वहीं BJP का कहना है कि अब तुष्टिकरण की सियासत करने के दिन लद गए हैं। इस ट्रेन का नाम बदलने के लिए मैसुरू से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा ने रेलवे को एक चिट्ठी लिखी थी।
टीपू एक्प्रेस के नाम से चल रही थी यह ट्रेन
पिछले कई सालों से 12613 मैसूरु-बेंगलुरू इंटरसिटी एक्सप्रेस ‘टीपू सुपरफास्ट एक्सप्रेस’ के नाम से चल रही थी लेकिन अब इसका नाम बदलकर वोडयार एक्सप्रेस हो गया है। मैसूर से BJP सांसद प्रताप सिम्हा ने ट्रेन के नए बोर्ड की फोटो लगाई और रेल मंत्रालय का आभार व्यक्त किया। प्रताप सिम्हा ने ही 25 जुलाई को इस ट्रेन का नाम बदलने की मांग करते हुई एक पत्र लिखा था। रेल मंत्रालय की ओर से जारू सूचना में कहा गया है कि ट्रेन नंबर 12613-12614 मैसूरु-बेंगलुरू टीपू एक्सप्रेस का नाम वोडयार एक्सप्रेस कर दिया गया है।
ट्रेन का नया नाम रखे जाने के बाद बवाल शुरू
बता दें कि वोडयार साम्राज्य को मॉर्डन मैसूरु का आर्किटेक्ट कहा जाता है। तकरीबन 150 साल पहले वोडयार ने मैसूरु साम्राज्य में रेलवे नेटवर्क बनाया था। लेकिन इस ट्रेन के नामकरण के बाद सियासी बवाल शुरू हो गया है। कांग्रेस के नेता सरकार पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने के आरोप लगा रहे हैं। वहीं, BJP का कहना है कि जब इस ट्रेन का नाम टीपू सुल्तान के नाम पर रखा गया तब तुष्टिकरण की राजनीति हो रही थी और अब वक्त बदल गया है इसीलिए इस ट्रेन का नाम भी बदल गया है।