Friday, November 22, 2024
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अध्यादेश के खिलाफ मुहिम में कामयाब होंगे केजरीवाल? कांग्रेस हाईकमान से मांगा मिलने का समय, समझें पूरा गणित

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राज्यसभा में केंद्र सरकार के अध्यादेश को रोकने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के साथ लगातार मीटिंग कर रहे हैं।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Updated on: May 26, 2023 11:37 IST
दिल्ली के मुख्यमंत्री...- India TV Hindi
Image Source : PTI दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ मुहिम चला रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कांग्रेस से समर्थन मांगा है। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा है। हालांकि दिल्ली और पंजाब के कांग्रेस के नेता इस पक्ष में नहीं हैं कि कांग्रेस किसी भी मुहिम में केजरीवाल के साथ दिखाई दें, लेकिन आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो को उम्मीद है कि कांग्रेस उन्हें समर्थन दे सकती है। दरअसल, AAP के पक्ष में शरद पवार के बयान ने केजरीवाल के हौसलों को नई बुलंदी दी है।

पवार का साथ मिलने से उत्साहित हैं केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उस वक्त बड़ी कामयाबी हाथ लगी जब उन्हें दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ शरद पवार का साथ मिल गया। गुरुवार को केजरीवाल ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ शरद पवार से मुलाकात की, और NCP चीफ ने विपक्ष की एकता और देश के लोकतंत्र को बचाने का हवाला देकर केजरीवाल का समर्थन करने का एलान कर दिया। पवार ने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ दिल्ली का नहीं, बल्कि देश में लोकतंत्र को बचाने का है, इसलिए सभी पार्टियों को पुरानी बातें भुला कर केजरीवाल के साथ आना चाहिए।

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Image Source : PTI
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एनसीपी चीफ शरद पवार।

उद्धव ने भी किया केजरीवाल का समर्थन
महाराष्ट्र की राजनीति में पवार अकेले नहीं हैं जिन्होंने केजरीवाल का समर्थन किया है। शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे भी केजरीवाल को समर्थन दे चुके हैं। उद्धव का तर्क भी 2024 के लिए विपक्ष की एकता ही है। केजरीवाल अपनी इस मुहिम में अब तक विपक्ष के कई नेताओं से मिल चुके हैं और उनका समर्थन हासिल कर चुके हैं। इन नेताओं में उद्धव और पवार के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल हैं। हालांकि केजरीवाल के लिए राज्यसभा में बड़ा समर्थन जुटाना अभी दूर की कौड़ी है और इसकी वजह है कांग्रेस।

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Image Source : PTI
अरविंद केजरीवाल और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे।

अभी भी केजरीवाल के खिलाफ है कांग्रेस?
दरअसल, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता केजरीवाल की मुहिम के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं। अजय माकन और संदीप दीक्षित जैसे दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेता इस मुद्दे पर केजरीवाल के विरोध में खड़े हैं। वे कांग्रेस हाईकमान से केजरीवाल को किसी तरह का सपोर्ट न देने की अपील कर रहे हैं। ऐसे माहौल में आज अरविंद केजरीवाल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की कोशिश करने वाले हैं। देखना ये है कि क्या कांग्रेस हाईकमान अपने नेताओं के खिलाफ जाकर केजरीवाल को समर्थन देंगे, और अगर राहुल गांधी केजरीवाल को मिलने का वक्त देते हैं तो ये बड़ी बात होगी।

केजरीवाल के सामने हैं और भी मुश्किलें
अगर किसी वजह से कांग्रेस हाईकमान केजरीवाल का साथ दे भी देता है तो राज्यसभा के फ्लोर पर अध्यादेश के खिलाफ वोट जुटाना एकदम टेढ़ी खीर है। राज्यसभा के मौजूदा सदस्यों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो सदन में 238 सदस्य है, जिनमें से 5 नॉमिनेटेड हैं, यानी 233 ही सदस्य वोट कर पाएंगे। ऐसे में जिसके पास राज्यसभा में 117 वोट होंगे वह बाजी मार लेगा। मौजूदा स्थिति में केंद्र सरकार और केजरीवाल के समर्थन वाले दलों की राज्यसभा में स्थिति देखें तो तस्वीर और साफ हो जाएगी।

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Image Source : PTI
अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी।

राज्यसभा में क्या है मौजूदा स्थिति?
बीजेपी के 93 सांसदों के अलावा बीजेडी के 9, AIADMK के 4 और वाईएसआर कांग्रेस के 9 सांसदों को मिला दें तो राज्यसभा में सरकार के पक्ष में 115 सांसद नजर आते हैं। इसी तरह, अगर आम आदमी पार्टी के समर्थन में खड़ी पार्टियों की स्थिति देखें तो फिलहाल आप के 10 सांसदों के अलावा केजरीवाल को TMC के 12, RJD के 6, JDU के 5, उद्धव के 3 और NCP के 4 सांसदों को मिलाकर सिर्फ 40 सांसदों का समर्थन हासिल है। इनके अलावा DMK के 10, BRS के 9, CPM के 5, समाजवादी पार्टी के 3, CPI के 2, JMM के 2 और RLD के 1 सांसद को मिलाकर कुल 32 सांसद होते हैं।

कांग्रेस के बिना अध्यादेश को रोकना मुश्किल
इस तरह देखा जाए तो केजरीवाल के पक्ष में कुल मिलाकर 40+32 यानी कि 72 सांसदों का समर्थन मिलता दिख रहा है। मतलब ये कि कांग्रेस के बिना केजरीवाल के लिए इस अध्यादेश को राज्यसभा में रोकना मुमकिन नहीं है। संसद की नई बिल्डिंग के मामले में जितनी पार्टियां मोदी सरकार के विरोध में है, उतनी पार्टियां भी अगर अध्यादेश के खिलाफ वोट दें तो भी अध्यादेश वाले बिल को रोक पाना संभव नहीं होगा।

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