25 जून की तारीख को लोग भारत के लोकतंत्र में काले अध्याय के रूप में जानते हैं। इसी दिन साल 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा देश में इमरजेंसी लगाई गई थी। लोकसभा में 26 जून को स्पीकर ओम बिरला ने इमरजेंसी के खिलाफ दो मिनट का मौन भी रखवाया। अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इमरजेंसी के दौर का दर्दनाक किस्सा सुनाया है। शिवराज ने बताया कि इमरजेंसी के दौरान वह सिर्फ 17 साल के थे। फिर भी पुलिस ने उन्हें आधी रात को गिरफ्तार के बुरी तरह मार-पीट की थी। आइए जानते हैं पूरा किस्सा।
कोई भी 25 जून 1975 की रात भूल नहीं सकता
नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इमरजेंसी भारत का सबसे काला अध्याय विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम में भाग लेते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कांग्रेस आज किस मुंह से संविधान की बात करती है, इंदिरा जी और कांग्रेस ने संविधान का गला घोंटा था, कोई भी 25 जून 1975 की रात को भूल नहीं सकता है, जब लोकतंत्र का गला घोंटा गया था, संविधान को तार-तार कर दिया गया था।
संविधान को कुचलने की कोशिश हुई- शिवराज
केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इंदिरा गांधी जी और कांग्रेस तानाशाह बन गई थी, अहंकार से भर गई थी। उन्होंने संविधान को कुचलने की कोशिश की और संविधान में संशोधन करने की कोशिश की। उन्होंने संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटा। शिवराज ने कहा कि लोकतंत्र का कलंक काल आपातकाल था। आधी रात को लोगों की गिरफ्तारियां शुरु हुई थीं। सारे मौलिक अधिकार समाप्त हो गए थे, सारे व्यापार तबाह और बर्बाद हो गए थे, इसके बावजूद कांग्रेस आज संविधान के बारे में किस मुंह से बात करती है।
मुझे पूरी रात पीटा गया- शिवराज
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपातकाल का अपना अनुभव भी बताया। शिवराज ने बताया कि उस समय मैं सिर्फ 17 साल का था, जब मुझे आधी रात को गिरफ्तार किया गया था। मुझे पहले चार थप्पड़ मारे और हबीबगंज थाने ले जाकर रात भर लाठी-डंडो से पीटा। मेरे घुटनों के जोड़ों में, कोहनियों के जोड़ों में, इतने डंडे मारे गए कि, आज भी जब बादल आते हैं तो एक-एक जोड़ दुखता है। दूसरे दिन जब मुझे हथकड़ियों के साथ पैदल ही जेल ले जाया जा रहा था, तो मैंने नारे लगाना शुरू कर दिया कि, ज़ुल्म के आगे नहीं झुकेंगे, जुल्म किया तो और लड़ेंगे। इसके बाद देखने वालो को लगने लगा कि, 11वीं में पढ़ने वाले एक किशोर पर अत्याचार किया जा रहा है।
हम जनता के सामने झोली फैलाते थे- शिवराज
शिवराज सिंह चौहान ने बताया जनवरी 1977 में जेल से निकलने के बाद हम लोगों के पास कुछ नहीं था। जेल से निकल कर गांव आए और साईकिल किराए पर लेकर जनता पार्टी का काम शुरू किया। साइकिलों से दूसरे गाँव जाते थे और फिर बिना माइक के ही भाषण देते थे और जनता के सामने ही झोली फैलाते थे कि, हमारे पास चुनाव लड़ने के लिए कुछ भी नहीं है। भारत के लोकतंत्र की खूबी देखिए कि, कोई बड़ा नेता नहीं होने के बाद भी जनता ने पैसे दिए और हमने जीप किराए पर ले ली। इसके बाद सभाएं और बाकी कार्यक्रम होने लगे और सच में वो चुनाव जनता ने ही लड़ के तानाशाही को समाप्त किया। निर्णायक रूप से ये भारत की जनता है।
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