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शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच की मंजूरी अवैध थी, इसलिए हमने इसे लिया वापस: सीएम सिद्धरमैया

उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच की अनुमति वापस लेने पर सीएम सिद्धरमैया ने मंत्रिमंडल के निर्णय का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि यह भाजपा सरकार द्वारा इसे मंजूरी दी गई थी जो अवैध है, इसलिए इसे वापस लिया गया।

Edited By: Amar Deep
Published on: November 25, 2023 9:03 IST
शिवकुमार के खिलाफ CBI जांच की मंजूरी अवैध: सिद्धरमैया- India TV Hindi
Image Source : PTI शिवकुमार के खिलाफ CBI जांच की मंजूरी अवैध: सिद्धरमैया

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच की अनुमति वापस लेने के अपने मंत्रिमंडल के निर्णय का बचाव किया। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने जो मंजूरी दी थी, वह अवैध थी। राज्य के मंत्रिमंडल ने गुरुवार को कहा था कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिवकुमार के खिलाफ जांच के लिए सीबीआई को मंजूरी देने का पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार का फैसला कानून के अनुरूप नहीं था, लिहाजा उसने मंजूरी वापस लेने का निर्णय लिया है। बता दें कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने 25 सितंबर 2019 को इसे मंजूरी दी थी। इसके बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने तीन अक्टूबर 2020 को शिवकुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। 

अवैध रूप से दी गई थी मंजूरी 

सीबीआई का दावा है कि शिवकुमार ने सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार (2013-2018) में ऊर्जा मंत्री रहते हुए 01 अप्रैल 2013 से 30 अप्रैल 2018 तक अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से 74.93 करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति अर्जित की थी। सिद्धरमैया ने यहां पत्रकारों से कहा कि हमने कहा है कि मंजूरी अवैध थी। सरकारी पद पर आसीन किसी व्यक्ति के खिलाफ जांच के लिए सरकार की मंजूरी चाहिए होती है। यदि वह मंत्री है तो राज्यपाल को मंजूरी देनी चाहिए, और यदि वह विधायक है तो विधानसभा अध्यक्ष को मंजूरी देनी चाहिए। उस समय शिवकुमार विधायक थे लिहाजा विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति लेनी थी, जो नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता के अपनी राय देने से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा के मौखिक निर्देश के आधार पर मुख्य सचिव ने मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिये सहमति देते हुए आदेश जारी कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि हमने कहा है कि यह (मंजूरी) अवैध थी, क्योंकि यह कानून के अनुरूप नहीं थी। उन्होंने कहा कि मंजूरी अवैध रूप से दी गई थी, यह सही नहीं है, हम मंजूरी वापस लेंगे, हमने यही कहा है।

अदालत के फैसलों पर नहीं करेंगे टिप्पणी 

एक सवाल के जवाब में सिद्धरमैया ने कहा कि वह अदालत के फैसलों पर टिप्पणी नहीं करेंगे; सरकार को जो करना होगा वह करेगी। अदालत क्या फैसला करती है, हम उसमें बाधा नहीं डाल सकते, हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। अदालत को फैसला करने दें कि उसे क्या करना है। इस बीच मंगलुरु में शहरी विकास मंत्री सुरेश बीएस ने राज्य मंत्रिमंडल द्वारा शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई जांच की पिछली सरकार द्वारा दी गयी अनुमति को वापस लेने के फैसले को उचित ठहराया। मंगलुरु स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत येम्मेकेरे में लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित अंतरराष्ट्रीय तरणताल का उद्घाटन करने के अवसर पर मीडिया से बातचीत में सुरेश ने कहा कि राज्य के तत्कालीन महाधिवक्ता ने इसके पक्ष में राय नहीं दी थी और मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को मौखिक ही जांच की अनुमति के आदेश दे दिये थे। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा चलाने के लिए पिछली सरकार द्वारा सीबीआई को दी गई मंजूरी के खिलाफ शिवकुमार द्वारा दायर अपील पर सुनवाई बुधवार को 29 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी थी।

(इनपुट: भाषा)

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