Highlights
- बीजेपी में शर्मा की एंट्री से बीजेपी को मिल सकता है हिमाचल के आगामी चुनाव में लाभ
- सियासी हलचलों के बीच आनंद शर्मा ने दी यह सफाई
- कांग्रेस में दिखाई निष्ठा, पर खस्तहाल पार्टी की रीति-नीति पर उठाए सवाल
Anand Sharma: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच कल गुरुवार को मुलाकात हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मुलाकात को लेकर सियासी हलचलें तेज हो गई है। ऐसे समय में जब कांग्रेस के डूबते जहाज से कई नेता निकलकर बीजेपी में शामिल होते जा रहे हैं। शर्मा और नड्डा की मुलाकात भी कुछ इसी दिशा में जाती दिखाई दे रही है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में नड्डा और शिमला में जन्मे शर्मा की मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है।
बीजेपी में शर्मा की एंट्री से बीजेपी को मिल सकता है हिमाचल के आगामी चुनाव में लाभ
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में इसी साल के अंत में चुनाव होना है। ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा बीजेपी में आ जाते हैं तो इसका प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा होता नजर आएगा। लेकिन अभी यह सबकुछ पूरी तरह तय नहीं हैं। क्योंकि जिस तरह उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं तेज हुई हैं नड्डा से मुलाकात के बाद। उस पर खुद आनंद शर्मा का बयान भी आ गया है।
सियासी हलचलों के बीच आनंद शर्मा ने दी यह सफाई
मुलाकात की सियासी हलचलों के बीच आनंद शर्मा ने कहा कि 'मुझे जेपी नड्डा से मिलने का पूरा अधिकार है। क्योंकि वह मेरे लिए बीजेपी अध्यक्ष नहीं हैं। हम दोनों एक ही राज्य से आते हैं और हमने पढ़ाई भी साथ में की है। इसलिए इस मुलाकात का राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।
आने वाले समय में क्या बन सकते हैं समीकरण?
हालांकि इससे पहले भी कई बार ऐसे मौके आए हैं। जब कोई नेता मेल मुलाकातों और दूसरी पार्टी में जाने की खबरों का खंडन करता है, लेकिन बाद में परिणाम कुछ और ही होता है। हालांकि आनंद शर्मा वरिष्ठ नेता हैं और वे कांग्रेस सरकार में केबिनेट मंत्री रह चुके हैं। राज्यसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और राज्यसभा में अपने तर्कपूर्ण बयानों से एक परिपक्व राजनेता का परिचय देते रहे हैं, लेकिन ऐसे समय में जबकि आज चारों ओर बीजेपी में दूसरी पार्टियों के नेता समाहित होते जा रहे हैं, यदि आनंद शर्मा भी नड्डा से मुलाकात के बाद बीजेपी में शामिल हों, तो कोई बड़ा आश्चर्य नहीं होना चाहिए। क्योंकि उनके ही मित्र कपिल सिब्बल ने भी हाल ही में कांग्रेस पार्टी छोड़ी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभ की राह पकड़ी। आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल दोनों जी—23 ग्रुप के नेता रहे हैं, जिन्होंने कांग्रेस की बुरी हालत पर कई बार अपनी राय दी है।
कई मौकों पर अपने वक्तव्यों से कर चुके हैं प्रभावित
राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने सुषमा स्वराज की श्रद्धांजलि सभा में भी अपनी वहां मौजूद पीएम मोदी और अन्य केबिनेट मंत्रियों के बीच प्रभावी वक्तव्य दिया था और ये बताया था कि किस तरह उनका सम्मान सुषमाजी किया करती थीं। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने बतौर राज्यसभा सदस्य अपना आखिरी वक्तव्य 7 फरवरी को दिया था। वे हमेशा अपने वक्तव्यों से विपक्षी पार्टियों के नेताओं की प्रशंसा भी पाते रहे हैं। हालांकि उन्होंने अपने राज्यसभा के आखिरी वक्तव्य के समय राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपने विचार रखे थे। उन्होंने कहा था कि जिस किसी ने भी राष्ट्रपति का अभिभाषण लिखा है, उसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। शर्मा ने कहा था कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में राष्ट्रीय सुरक्षा का जिक्र नहीं है, ये चिंता की बात है। उन्होंने तब यह कहा था कि जिसने भी यह भाषण लिखा है, उसने राष्ट्रपति के साथ नाइंसाफी की है। उन्होंने इस दौरान इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय स्मारक में विलय करने पर भी आपत्ति जताई थी।
कांग्रेस में दिखाई निष्ठा, पर खस्तहाल पार्टी की रीति-नीति पर उठाए सवाल
हालांकि उन्होंने कांग्रेस में रहकर निष्ठा के साथ उन्हें दी गई जिम्मेदारियों को निभाया। लेकिन हाल के समय में जब कांग्रेस की इतनी दुर्गति हो गई है। लगभग हर चुनाव पार्टी हार रही है। ऐसे में जी 23 ग्रुप के सीनियर नेताओं ने पार्टी की रणनीति और पार्टी के नेतृत्व दोनों पर सवाल उठाए थे। इस ग्रुप में आनंद शर्मा भी शामिल रहे। इसके अलावा भी गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा (Anand Sharma) बीते दो सालों से कांग्रेस (Congress) में असंतुष्ट नेताओं की अगुवाई करते रहे हैं। अब देखना यह है कि नड्डा के साथ शर्मा की यह मुलाकात आगे चलकर क्या राजनीतिक समीकरण बनाती है।