केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो फिलहाल जम्मू कश्मीर में हैं। इस दौरान अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के उपराज्य मनोज सिन्हा, नागरिक प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों संग सुरक्षा समीक्षा बैठक की। इससे पहले अमित शाह ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में अब हालात शांतिपूर्ण हैं और श्रीनगर में जी20 बैठक के सफल आयोजन ने यह साबित कर दिया है। कश्मीर घाटी में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास करने के बाद शाह ने कहा कि पहले विकास का पैसा चंद लोगों की जेब में जाता था, लेकिन अब विकास का लाभ उन सभी लोगों को मिल रहा है, जो इसके हकदार हैं।
गरीबों के पैसे से विदेश में बड़े घर
गृह मंत्री अमित शाह ने द्वारा किया कि पिछली सरकारों में गरीबों और किसानों को भेजा जाने वाला पैसा कुछ लोगों की जेब में जाता ता। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के कई लोगों के पास विदेशों में घर है। वे वहां छुट्टियां बिताने के लिए 45-60 दिन के लिए जाते हैं। यह गरीबों का पैसा था, उनके पास यह पैसा कहां से आया। उन्होंने कहा कि अब विकास का धन ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ (डीबीटी) के जरिये वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंच रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री ने लोगों से आगे आने और विकास की राह पर चलने के लिए एकजुट होने की तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध जम्मू-कश्मीर के सपने को पूरा करने की भी अपील की।
जम्मू-कश्मीर में गई 42 हजार लोगों की जान
उन्होंने यहा सवाल किया कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के कारण 42 हजार लोगों की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा। धारा 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में 70 फीसदी की कमी आई है। वहीं पत्थरबाजी की घटनाएं बिल्कुल बंद हो गई हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में तीन परिवारों ने मिलकर दशकों तक शासन किया। लेकिन यहां अनुच्छेद 370 होने के कारण कोई विकास नहीं हो सका। आतंकवाद के कारण यहां 42 हजार लोगों की जानें गईं औऱ वे कह रहे हैं कि हमें अनुच्छेद 370 को सुरक्षित रखना चाहिए था। गृहमंत्री ने फारुक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती से पूछा कि इन 42 हजार लोगों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है, क्योंकि तब वही लोग सत्ता में थे।
(इनपुट-भाषा)