नई दिल्लीः वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन का कई विपक्षी पार्टियों ने खुलकर विरोध किया है। लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी सपा भी बिल का विरोध करेगी। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड का ये सब संशोधन भी बस एक बहाना है। रक्षा, रेल, नज़ूल लैंड की तरह ज़मीन बेचना निशाना है।
अखिलेश यादव ने कहा कि इस बात की लिखकर गारंटी दी जाए कि वक़्फ़ बोर्ड की ज़मीनें बेची नहीं जाएंगी। भाजपा रियल स्टेट कंपनी की तरह काम कर रही है। उसे अपने नाम में ‘जनता’ के स्थान पर ‘ज़मीन’ लिखकर नया नामकरण कर देना चाहिए।
शरद पवार की पार्टी भी विरोध में उतरी
वहीं, शरद पवार गुट की एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करेगी। विधेयक को अधिक सिफारिशों के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए या एक संयुक्त संसदीय समिति बनाई जानी चाहिए।
आरजेडी भी करेगी विरोध
आरजेडी सांसद मीसा भारती ने कहा कि मुझे लगता है कि INDIA गठबंधन के जितने भी दल हैं वो सब इसका विरोध करेंगे और RJD भी इसका विरोध करेगी। सरकार के दूसरे कई अहम मुद्दे हैं उस पर कोई बात नहीं हो रही है। उन मुद्दों को पहले लाना चाहिए था।
कांग्रेस ने भी किया विरोध
वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक का कांग्रेस भी विरोध करेगी। पार्टी सांसद इमरान मसूद कहा कि संसद में वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया जाएगा। वहीं, कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि यह दिखाता है कि एनडीए सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। वे धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय के पक्ष में नहीं हैं। वहीं, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार को बिल लाने से पहले मुस्लिम संगठनों से बात करनी चाहिए थी। अगर सरकार की नीयत ठीक है तो पहले बिल पर चर्चा करनी चाहिए।
राहुल गांधी ने की मीटिंग
कांग्रेस वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने का विरोध करने की तैयारी में है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले, कांग्रेस सांसदों की बैठक बुलाई जिसमें कई विषयों के साथ ही वक्फ विधेयक को लेकर भी चर्चा की गई। कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल और हिबी ईडेन ने लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने का विरोध करने के लिए नियम 72 के तहत एक नोटिस दिया।
सूत्रों ने बताया कि ईडन ने अपने नोटिस में कहा है कि वह विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हैं क्योंकि यह ‘‘असंवैधानिक’’ है।बता दें कि सरकार बृहस्पतिवार को निचले सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ और ‘मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024’ पेश करने वाली है।