नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां करना शुरू कर दिया है। इस बार चुनाव तीन त्रिपक्षीय होता हुआ दिख रहा है। एक तरफ NDA और दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन बनता हुआ नजर आ रहा है। वहीं इसके अलावा कुछ दल ऐसे भी हैं, जो इन दोनों गठबंधनों में शामिल नहीं हैं। वह इस बार अलग लड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
इंडिया गंठबंधन की चौथी बैठक मंगलवार 19 दिसंबर को हुई। इस बैठक में लोकसभा चुनावों को लेकर चर्चा की गई। सूत्रों ने दावा किया कि इस बैठक में बहुजन समाज पार्टी को लकार भी बात हुई थी। जिसके बाद अटकलें लगाई गईं कि बसपा भी इस गठबंधन में शामिल हो सकती है। अब इस संभावना को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय कोर्डिनेटर आकाश आनंद का बड़ा बयान सामने आया है।
'कुछ लोग भाजपा से कम और बीएसपी से ज्यादा डरे हुए'
मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने बुधवार को एक्स पर लिखते हुए कहा, "मीडिया की रिपोर्ट्स और पार्टी के कुछ साथियों से पता चला है कि कल I.N.D.I.A. अलायंस की बैठक में कुछ लोग भाजपा से कम और बीएसपी से ज्यादा डरे हुए हैं। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि भाजपा का खौफ दिखाकर वोट लेने वाली गठबंधन की नफरत वाली राजनीति में बीएसपी विश्वास नहीं करती है। क्योंकि इसी तरह एक वक्त कांग्रेस का खौफ दिखाकर कुछ लोग सत्ता पर काबिज हुए थे और उसका खामियाजा आज पूरा देश भुगत रहा है।"
उन्होंने कहा कि माननीय कांशीराम साहेब और आदरणीय बहन जी की मेहनत से खड़े हुए बहुजन समाज के सम्मान और अधिकार की लड़ाई के सफल नतीजे बड़े पैमाने पर दिख रहे हैं। दलित समाज की अनदेखी करने का दम आज किसी राजनीतिक दल में नहीं है। मैं ये भी साफ कर दूं कि बीएसपी दलित समाज के हित में और बाबा साहेब के संविधान की रक्षा करने के लिए, देश के लोकतंत्र को दो दलों की जागीर नहीं बनने देगी।
लोकतंत्र बचाने के लिए बसपा कोई समझौता नहीं करेगी- आकाश
आकाश आनंद ने कहा कि सभी जानते हैं कि कांग्रेस और भाजपा का वास्तविक चरित्र क्या है। देश के वर्तमान हालात को समझते हुए बीएसपी संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए कोई समझौता नहीं करेगी। हम लड़ेंगे और संविधान में दिए गए लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए बड़ी लड़ाई के लिए तैयार हैं।
आकाश आनंद के इस बयान के बाद साफ़ हो गया है कि बसपा इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं होगी। बता दें कि मंगलवार को गठबंधन की बैठक के बाद सूत्रों ने दावा किया था कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने गठबंधन में बसपा को शामिल किए जाने की पैरवी की थी। जिसके बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस पर अपना विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि बसपा पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि कुछ नेताओं ने इन चर्चाओं को भी गलत बताया था।