Highlights
- AIADMK का दोहरे नेतृत्व वाला मॉडल हुआ खत्म
- पलानीस्वामी चुने गए पार्टी के अंतरिम महासचिव
- अदालत ने पनीरसेल्वम को लेकर की सख्त टिप्पणी
AIADMK Tussle: अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने सोमवार को तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल में दोहरे नेतृत्व के मॉडल को खत्म कर दिया। अन्नाद्रमुक ने एडप्पाडी के.पलानीस्वामी (EPS) को अपना अंतरिम महासचिव चुना। इसके साथ ही ओ पनीरसेल्वम (OPS) को पार्टी हितों के खिलाफ काम करने के आरोप में इसकी प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। AIADMK की आम परिषद की एक बैठक में 68 साल के पलानीस्वामी को पार्टी का सर्वोच्च नेता चुना गया। मद्रास हाईकोर्ट में प्रतिद्वंद्वी गुट की बैठक पर रोक लगाने का आग्रह करने वाली पनीरसेल्वम की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट के इस फैसेल के तुरंत बाद एक लंबे आंतरिक सत्ता संघर्ष के बीच उन्हें (पलानीस्वामी) पार्टी संचालन के लिए पूर्ण अधिकार दे दिए गए।
पनीरसेल्वम ने पलानीस्वामी को पार्टी से निकाला
इस मामले में न्यायाधीश ने कहा कि अदालतें निश्चित रूप से पार्टी के निजी मामलों में हस्तक्षेप करने से परहेज करेंगी। आम परिषद की एक विवाह मंडप में बैठक से पहले, पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम के समर्थकों के बीच अन्नाद्रमुक मुख्यालय और उसके आस-पास हिंसा हुई, जिसके बाद अधिकारियों ने परिसरों को सील कर दिया। झड़प में कुछ लोगों के घायल होने की भी खबर है।
अन्नाद्रमुक ने पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी के कब्जे वाले कोरडिनेटर और संयुक्त कोरडिनेटर के पूर्व शीर्ष दो पदों को खत्म करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। जवाबी कदम में, पनीरसेल्वम ने पलानीस्वामी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से "निष्कासित" कर दिया। पलानीस्वामी और 71 साल के पनीरसेल्वम दोनों पूर्व मुख्यमंत्री हैं। पनीरसेल्वम दिवंगत जयललिता के भरोसेमंद वफादार थे। AIADMK ने पांच दिसंबर 2016 को अपनी प्रमुख जयललिता की मृत्यु के बाद एकता बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की है।
अदालत ने पनीरसेल्वम को लेकर की सख्त टिप्पणी
AIADMK ने औपचारिक रूप से एक महासचिव का चुनाव करने के लिए चार महीने में संगठनात्मक चुनाव कराने का भी संकल्प लिया। इसने कई उपनियमों में संशोधन किया है जिसमें पार्टी के शीर्ष पद के लिए लड़ने को लेकर नए मानदंड शामिल हैं। न्यायमूर्ति कृष्णन रामास्वामी ने फैसला सुनाया जिसने EPS गुट को AIADMK की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली यूनिट आम परिषद की बैठक आयोजित करने की अनुमति दे दी। अदालत ने पनीरसेल्वम के बार-बार अदालत का रुख करने को लेकर नाराजगी भी जाहिर की।
न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान मामले में, आवेदक अपने बचाव के लिए अदालतों को उपकरण के रूप में उपयोग करने की कोशिश में अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं, जिनको पार्टी के सदस्यों से समर्थन नहीं मिल रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह खेदजनक है कि कोर्डिनेटर पद पर काबिज नेता के पास सदस्यों का विश्वास हासिल करने के बजाय बार-बार अदालत आने और हस्तक्षेप का अनुरोध करने का समय है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आवेदक जो हासिल नहीं कर पा रहा है, वह अदालत के जरिए उसे पाना चाहता है, लेकिन अदालत सिर्फ एक या दो सदस्यों के कहने पर पार्टी के हजारों अन्य सदस्यों के हितों के खिलाफ पार्टी के निजी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी।’’
AIADMK में कलह का DMK को फायदा
तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक में जारी कलह और उठापटक के मद्देनजर जहां सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) चुनावी लिहाज से काफी फायदेमंद स्थिति में है, वहीं फिलहाल हाशिये पर खड़ी भाजपा (BJP) चुनावी राजनीति में अधिक हिस्सेदारी की आकांक्षा पाल सकती है। हालांकि, अन्नाद्रमुक के अधिकतर पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी कद्दावर नेता ई. के पलानीस्वामी के समर्थन में खड़े दिखते हैं, लेकिन तमिलनाडु के चुनिंदा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं के कई धड़ों में निष्कासित नेता ओ पनीरसेल्वम का भी प्रभाव है।