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बीजेपी के बाद अब कांग्रेस ने भी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया, संसद के विशेष सत्र में मौजूद रहने का निर्देश

कांग्रेस पार्टी ने भी अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है। संसद के विशेष सत्र में सांसदों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है। संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Sep 14, 2023 16:59 IST, Updated : Sep 14, 2023 17:42 IST
सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे
Image Source : पीटीआई/फाइल सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे

नई दिल्ली:  संसद के विशेष सत्र को लेकर भारतीय जनता पार्टी के बाद अब कांग्रेस ने भी अपने सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी कर दिया है। कांग्रेस ने लोकसभा के सभी सांसदों से अनुरोध किया है कि 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान वे सदन में उपस्थित रहें और पार्टी के पक्ष का समर्थन करें। पार्टी मुख्य सचेतक के सुरेश के हस्ताक्षर से जारी इस व्हिप में कहा गया है लोकसभा के विशेष सत्र के दौरान अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी इसलिए वे संसद सत्र के दौरान अवश्य मौजूद रहें। इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाए।

इससे पहले कांग्रेस ने संसद के विशेष सत्र के एजेंडे की घोषणा के बाद कहा कि इसमें जो विषय शामिल किए गए हैं उनके लिए शीतकालीन सत्र का भी इंतजार किया जा सकता था। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि उन्हें यकीन है कि पर्दे के पीछे कुछ और है। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के घटक दल निर्वाचन विधेयक का पुरजोर विरोध करेंगे। रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘अंततः सोनिया गांधी जी द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र के दबाव के बाद मोदी सरकार ने 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के एजेंडे की घोषणा करने की कृपा की है।’’ उन्होंने कहा कि फिलहाल जो एजेंडा प्रकाशित किया गया है, उसमें कुछ भी नहीं है और इन सबके लिए नवंबर में शीतकालीन सत्र तक इंतजार किया जा सकता था। 

जराम रमेश ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि विधायी 'हथगोले' हमेशा की तरह आखिरी क्षण में फूटने के लिए तैयार हैं। परदे के पीछे कुछ और है!’’ उन्होंने यह भी कहा कि इसके बावजूद, ‘इंडिया’ के घटक दल सीईसी विधेयक का डटकर विरोध करेंगे। सरकार ने पिछले सत्र में राज्यसभा में विवादास्पद मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक पेश किया था, जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) के लिए चयन समिति में भारत के चीफ जस्टिस के स्थान पर एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रावधान है। इस कदम से सरकार को निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्तियों पर अधिक नियंत्रण प्राप्त हो सकेगा। (इनपुट-भाषा)

 

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