नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी रविवार को कहा कि ये देश बीजेपी द्वारा संस्थानों की हत्या का दंश झेल रहा है। अब वो (बीजेपी सरकार) संसद में भी बोलने नहीं देती, ये तानाशाही सरकार है। संसद की कार्यवाही स्पीच से कई शब्द निकाल दिये जाते हैं। ये सरकार अब संसद में भी डराने और धमकाने की प्रक्रिया शुरू करने में जुट गई है। सिंघवी ने कहा कि सरकार चाहती है कि संसद टकराव से चले, वो चर्चा में विश्वास नहीं करती।
"जो शब्द काटे गये, उनमें कोई गैर-संसदीय शब्द बता दें"
राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगे कहा कि जो शब्द काटे गये हैं, उसमें कोई गैर-संसदीय शब्द बता दें, मानहानि वाले कोई शब्द बता दें, ये क्या प्रक्रिया थी? उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और खरगे ने तथ्यों के आधार पर बोला है। अब सवाल पूछना भी क्या अपराध है, जो उसे भी काट दिया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद हमारे गणतंत्र का मंदिर है। डिबेट ख़त्म हो जायेगी, हम सबको इसे बचाना है।
"बिना नोटिस के रजनी पाटिल को निलंबित किया"
अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा कि तानाशाही का एक अभूतपूर्व उदाहरण मिला। सत्र से रजनी पाटिल को निलंबित किया गया और आरोप लगाया गया कि वह वीडियो रिकॉर्डिंग कर रही थीं। बिना कारण बताओ, बिना कोई नोटिस दिये उनको निलंबित किया है। रजनी को जवाब देना का भी समय नहीं दिया गया। जांच शुरू होने से पहले ही निलंबन कर दिया। सिंघवी ने आरोप लगाया कि ये पक्षपात के तरत सरकार के दबाव से किया गया है। ये एकतरफ़ा फ़ैसला है, सभी जनतांत्रिक नियम के विरुद्ध है।
वीडियो रिकार्डिंग करने पर पाटिल हुई थीं निलंबित
बता दें कि कांग्रेस सदस्य रजनी पाटिल को राज्यसभा की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए शुक्रवार को मौजूदा बजट सत्र की शेष बैठकों से निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उच्च सदन में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि पाटिल ने सदन की कल की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कर उसे ट्विटर पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, नेता सदन पीयूष गोयल सहित विभिन्न दलों के कई सदस्यों का पक्ष सुनने के बाद उन्होंने इसकी घोषणा की।
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