नई दिल्ली: देश में इस वक्त दलितों को लेकर जबरदस्त राजनीति हो रही है। सारी पार्टियां अपने-अपने तरीके से ये साबित करने में लगी है कि दलितों के बारे में सबसे ज्यादा उनकी पार्टी सोचती है। उत्तर प्रदेश में दलितों के गांव जाकर घर में रुकने और खाने का एक सरकारी कार्यक्रम चल रहा है, लेकिन इस कार्यक्रम को लेकर अब विवाद शुरू हो गया है। एक वीडियो सामने आया है, जिसमें योगी के मंत्री सुरेश राणा दलितों के घर में हलवाईयों का बना खाना खा रहे हैं और बोतलबंद पानी पी रहे हैं। विपक्ष कह रहा है कि दलितों के घर आधी रात को जाना, हलवाईयों से खाना बनवाना, होटल से बिसलरी वाटर मंगवाना और फिर कैमरे के सामने दलित के घर खाना खाना, ये तमाशा नहीं तो और क्या है।
अप्रैल में योगी सरकार ने ग्राम स्वराज अभियान लॉन्च किया है। इस कार्यक्रम के तहत बीजेपी ने अपने सांसदों और मंत्रियों को ऐसे क्षेत्रों में कम से कम एक रात रुकने के लिए कहा है जहां लगभग 50 फीसदी आबादी एससी-एसटी की है। उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश राणा भी पहुंचे थे अलीगढ़ में एक दलित के घर। परिवार वालों को पता नहीं मंत्री जी पहुंचने वाले हैं तो होटल से खाना मंगवाया गया। लौहगढ़ निवासी रजनीश कुमार ने बताया कि मंत्री के आने के बारे में उन्हें नहीं पता था और सब कुछ पहले से तय था। उन्होंने बताया है कि उनसे बैठने के लिए कहा गया और बाहर से खाना मिनरल वॉटर की बोतलें मंगाई गईं। उन्होंने बताया कि सब कुछ केवल औपचारिकता थी और यह दिखाए जाने की कोशिश थी कि मंत्री एक दलित के घर गए हैं।
इस बारे में जब राणा से पूछा गया तो उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि उनके साथ करीब 100 लोग गए थे, इसलिए खाना हलवाई के पास से मंगवाया गया। राणा ने कहा, ‘मैंने उनके ड्रॉइंग रूम में खाना खाया। भोजन परिवार के सदस्यों के अलावा हलवाई के द्वारा भी तैयार किया गया था।’ 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अचानक से राजनीति दलित अधिकारों को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो गई है लेकिन यही संवेदनशलीता कैमरे पर कभी-कभी नाटक लगने लगता है। वोट की राजनीति ने न सिर्फ बीजेपी बल्कि तमाम पार्टियों को बदलने पर मजबूर कर दिया है।
यूपी के मुख्यमंत्री ने दलितों को अपना बनाने के लिए सरकारी खजाना खोल दिया है तो कांग्रेस भी अंबेडकर की याद में कार्यक्रमों की झड़ी लगा रही है लेकिन दलितों को अपना बनाने के चक्कर में भूल पर भूल हो रही है। यूपी से चलिए एमपी। उमा भारती मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव में दलितों के एक कार्यक्रम में शरीक होने गई थीं। वहां सामाजिक समरसता भोज का भी आयोजन किया गया था लेकिन जब खाने को बोला गया तो उमा भारती इंकार कर गई। उमा भारती कहती हैं वो कोई राम नहीं जिनके खा लेने से सबकुछ गंगा की तरह पवित्र हो जाएगा। दलितों के सम्मान वो घर बुलाकर करना चाहती हैं। डाइनिंग टेबल पर साथ खाना चाहती हैं इसलिए दलितों के इस कार्यक्रम में बिना खाए निकल गईं।