नई दिल्ली: साल 2017 में देश की राजनीति में कई तरह की उथल-पुथल हुई। राज्यों में सियासत के गलियारों की सरगर्मी दिल्ली तक अकसर महसूस होती है। वजह होती है सियासत में उठा-पटक, नेताओं के विवादित बोल या उनके दांव बदलने के तरीके। इस साल कई राज्यों में सरकारें बदली तो कई नेताओं ने पार्टी भी बदली। कई नेताओं के सुर बागी हो गए तो कईयों ने अपनी ही पार्टी या फिर नेता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आइए एक नजर डालते हैं ऐसे ही सबसे बड़े बागियों पर जिन्होंने देखते ही देखते दल बदल दिए
1. शरद यादव, जेडीयू- अगर इस साल के बागी नेताओं की बात करें तो शरद यादव का नाम सबसे पहले आता है। शरद यादव ने जिस पार्टी को बनाया आज वह उसी से बाहर हैं। जब बिहार में महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तो शरद यादव ने इसका विरोध किया। उस दौरान पार्टी के अधिकतर नेता, सांसद और विधायक नीतीश कुमार के साथ थे इसलिए शरद यादव की नहीं चली।
शरद यादव को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। उन्हें अपनी राज्यसभा सीट गंवानी पड़ी। इसके अलावा जेडीयू के बागी नेता शरद यादव को एक बड़ा झटका देते हुए चुनाव आयोग ने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जदयू को असली पार्टी बताया और पार्टी के चुनाव चिह्न् 'तीर' का प्रयोग करने की इजाजत दी।
2. कपिल मिश्रा, आम आदमी पार्टी
कपिल मिश्रा ने जैसे ही आम आदमी पार्टी छोड़ी वो खबरों की सुर्खियां बन गए थे। उन्होंने लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली के सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को लेकर कई खुलासे किए। सबसे पहले कपिल मिश्रा का बागी रुख तब सामने आया जब अरविंद केजरीवाल ने उन्हें जलमंत्री के पद से हटा दिया था। उसके बाद कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन पर 2 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया था।
इसके बाद कपिल की पार्टी की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। इसके बाद भी कपिल मिश्रा ने आप पर चंद में गड़बड़ी, सरकार में जल घोटाले को लेकर कई सवाल उठाए।
3. शहजाद पूनावाला, कांग्रेस
नवंबर में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के दौरान जब राहुल गांधी का अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय हो ही गया था तभी युवा नेता शहजाद पूनावाला ने बागी सुर अख्तियार कर दिए। पूनावाला ने कहा कि ये कोई इलेक्शन नहीं बल्कि सिलेक्शन हो रहा है, जिसके बाद काफी बवाल हो गया था। हालांकि, कांग्रेस ने कहा था कि पूनावाला के बयान को ज्यादा तरजीह देने की जरूरत नहीं है लेकिन गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक रैली के दौरान शहजाद की तारीफ कर दी।
पीएम मोदी ने कहा कि एक युवा नेता ने पार्टी अध्यक्ष चुनाव पर सवाल किया तो उसे चुप करा दिया गया। पीएम द्वारा अपने लिए की गई तारीफ के बाद पूनावाला ने उन्हें शुक्रिया भी किया था। बता दें कि शहजाद पूनावाला वैसे तो पार्टी में किसी बड़े पद पर नहीं थे लेकिन वे अक्सर टीवी चैनलों पर पार्टी की ओर से डिबेट करते हुए दिखते थे। इसके अलावा सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की बहन की शादी शहजाद के भाई तहसीन पूनावाला से हुई है। शहजाद द्वारा राहुल के खिलाफ आवाज उठाना कुछ दिनों के लिए चर्चा का विषय बन गया था।
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