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फ्लैशबैक 2017: बिहार में नाटकीय रूप से बदलते राजनीतिक समीकरण के साथ ये घटनाएं बनीं सुर्खियां

बिहार में वर्ष 2017 बदलते राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से बेहद नाटकीय रहा...

Edited by: India TV News Desk
Updated : December 27, 2017 19:15 IST
nitish kumar and sushil modi
nitish kumar and sushil modi

पटना: बिहार में वर्ष 2017 बदलते राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से बेहद नाटकीय रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू, लालू प्रसाद यादव की राजद और कांग्रेस को मिलाकर बने महागठबंधन का साथ छोड़ भाजपा नीत राजग का दामन फिर से थाम लिया।

लालू प्रसाद के लिए जाता हुआ साल बहुत खराब साबित हुआ जहां राज्य सरकार से उनकी पार्टी को हटना पड़ा और चारा घोटाले में जेल जाना पड़ा। रांची की एक विशेष अदालत ने 23 दिसंबर को लालू और 15 अन्य को 21 साल पुराने चारा घोटाले में दोषी ठहराया था। इस मामले में सजा तीन जनवरी को सुनाई जाएगी। 69 साल के राजद नेता फिलहाल रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं।

आइए एक नजर डालते हैं बिहार के नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम पर-

जहरीली शराब- राज्य में शराबबंदी के जमीनी क्रियान्वयन पर जहरीली शराब के कारण होने वाली मौत की घटनाओं ने सवालिया निशान लगाए। जहरीली शराब के कारण मौत की घटना रोहतास और वैशाली जिलों में हुई। समस्तीपुर में शराब तस्करों ने एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी। इसके अलावा राज्यभर से बड़े पैमाने पर शराब की बरामदगी हुई।

बिहार में बाढ़ ने मचाई तबाही- इस वर्ष प्राकृतिक आपदा ने भी बिहार में भारी तबाही मचाई। उत्तरी बिहार के 19 जिलों में बाढ़ के कारण करीब दस लाख लोग बेघर हो गए और 500 से अधिक लोगों की जान चली गई।

bihar flood

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सृजन घोटाला- नई सरकार के गठन के कुछ ही समय बाद सृजन घोटाला सामने आया जो राजकोष से एक गैर सरकारी संगठन को सैकड़ों करोड़ रूपये धोखे से स्थानांतरित करने से जुड़ा था। इस मामले में राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए।

नीतीश ने छोड़ा महागठबंधन का साथ- बेहद नाटकीय घटनाक्रम में नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में उन्होंने चार वर्ष पहले ही भाजपा का 17 वर्ष का साथ छोड़ दिया था और महागठबंधन बनाया था।

मोदी-नीतीश के बीच तल्ख संबंधों में गर्मजोशी- नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के बीच तल्ख संबंधों में गर्मजोशी का संकेत जनवरी में प्रकाश पर्व के मौके पर मिला। गुरू गोविंद सिंह की 350वी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी और कुमार ने मंच साझा किया और एकदूसरे की तारीफों के पुल बांधे। नोटबंदी के मोदी के फैसले के समर्थन में खुलकर सामने आकर कुमार ने अपने गठबंधन सहयोगियों को नाराज कर दिया था। महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है इसके स्पष्ट संकेत तब मिले जब कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का फैसला किया।

sushil modi and nitish kumar

sushil modi and nitish kumar

नीतीश ने बीजेपी से हाथ मिलाकर बनाई नई सरकार- घटनाक्रम तेजी से बदला जब सीबीआई ने होटल घोटाले में लालू प्रसाद, उनके छोटे बेटे तथा तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत उनके परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज किया। कुमार ने कहा कि यादव इस बारे में सार्वजनिक तौर पर स्पष्टीकरण दें, उनकी इस मांग को राजद ने ठुकरा दिया और इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने नई सरकार को समर्थन देने की घोषणा की और इस्तीफा देने के 24 घंटे के भीतर नीतीश ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

शरद यादव ने नीतीश के खिलाफ किया विद्रोह- जदयू के भीतर भी उथल पुथल मच गई। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव और कुमार के कभी करीबी रहे राज्यसभा सांसद अली अनवर ने कुमार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। पार्टी के आदेश को नजरअंदाज करते हुए शरद यादव और अली अनवर राजद के कार्यक्रमों में शामिल होते रहे और नीतीश कुमार पर 2015 के विधानसभा चुनाव के जनादेश के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया। कुमार जो जदयू अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने पार्टी से शरद के सभी करीबियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। उन्होंने चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखा जिससे पार्टी के चिन्ह पर विरोधी धड़े का दावा खारिज हो गया। शरद यादव और अली अनवर को राज्यसभा की सदस्यता के अयोग्य करार दे दिया गया।

कांग्रेस में भी दिखा महागठबंधन टूटने का असर- महागठबंधन टूटने का असर कांग्रेस की राज्य इकाई में भी दिखा। यह दो धड़ों में बंट गई, एक धड़ा जो कुमार का करीबी था और दूसरा जो राजद के पक्ष में था। अंदरूनी लड़ाई के चलते बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद से अशोक चौधरी को हटा दिया गया।

lalu yadav

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चारा घोटाले में लालू यादव दोषी- राजद की परेशानियां भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं थी। चारा घोटाले के एक मामले में लालू प्रसाद अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए हैं। इस मामले में अदालत 3 जनवरी को सजा सुनाएगी।

आउटसोर्स सेवाओं में आरक्षण का फैसला- नीतीश सरकार ने आउटसोर्स सेवाओं में आरक्षण का अहम फैसला किया, जिसे आलोचकों ने पिछले दरवाजे से निजी क्षेत्र में कोटा प्रणाली लाने का प्रयास बताया।

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