नयी दिल्ली: लगभग एक महीने तक चलने वाला संसद का शीतकालीन सत्र मंगलवार को शुरु हो जायेगा लेकिन सत्र के दौरान दोनों सदनों की कार्यवाही के सुचारू रूप से चलने का दारोमदार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा। अगले साल प्रस्तावित लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के कार्यकाल का यह अंतिम पूर्ण सत्र होगा। सत्र की शुरुआत के साथ ही मंगलवार को दोपहर तक मध्य प्रदेश, राजस्सथान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनाव के परिणाम से स्पष्ट हो जायेगा कि इन राज्यों में भाजपा और कांग्रेस में से किसकी सरकार बनेगी।
इस बीच सत्तापक्ष की कोशिश राज्यसभा में लंबित तीन तलाक विधेयक को पारित कराने का रास्ता साफ करने की होगी। सरकार पहले ही तीन तलाक को अपराध घोषित करने के लिये अध्यादेश जारी कर चुकी है। इसके अलावा सरकार भारतीय चिकित्सा परिषद संशोधन और भारतीय कंपनी कानून में संशोधन के अध्यादेश को विधेयक के रूप में इसी सत्र में पारित कराने की भरपूर कोशिश करेगी। उल्लेखनीय है कि शीतकालीन सत्र सामान्य तौर पर नवंबर माह में आहूत किया जाता रहा है लेकिन पिछले दो साल से यह दिसंबर माह में आहूत किया जा रहा है। इस बीच विपक्षी दलों ने लड़ाकू विमान राफेल की खरीद में हुयी कथित रूप से 58 हजार करोड़ रुपये की गड़बड़ी की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग आगामी सत्र के दौरान जोरशोर से दोनों सदनों में उठाने की घोषणा कर दी है।
विपक्ष भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता का मुद्दा भी शीतकालीन सत्र में उठाएगा। सत्तापक्ष द्वारा शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने वाले 45 विधेयक संसदीय कार्य मंत्रालय की सूची में शुमार हैं। इनमें जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक विधेयक, राष्ट्रीय होम्योपैथी विधेयक और वायुयान (संशोधन) विधेयक 2018 सहित अन्य अहम विधेयक शामिल हैं। सत्र में 11 दिसंबर से आठ जनवरी तक 29 दिनों की कार्य अवधि में 20 बैठकें आहूत होंगी। सोमवार को आहूत सर्वदलीय बैठक में तमाम दलों ने सत्तापक्ष को 24 दिसंबर से एक जनवरी के बीच संसदीय कार्यवाही निलंबित रखने का सुझाव दिया। सत्र की कार्यसूची में 24, 26 दिसंबर और एक जनवरी को भी सदन की कार्यवाही सुचारु रखने की बात कही गयी है। सरकार इस बारे में पिछली परंपरा को देखते हुये इन दिनों में सदन की कार्यवाही निलंबित करने के बारे में बाद में अंतिम फैसला करेगी।