कल महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर वंदेमातरम् को लेकर झगड़ा अब और आगे बढ़ गया है। बीजेपी और शिवसेना इस मुद्दे पर ज्यादा मुखर हो गए हैं। शिवसेना ने तो महाराष्ट्र विधानसभा में ऐसे प्रस्ताव की मांग की है कि वंदेमातरम न गाने वालों की विधायकी खत्म हो जाए।
दरअसल, शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर AIMIM विधायक वारिस पठान और बीजेपी विधायक राज पुरोहित के बीच वंदे मातरम् को लेकर तू तू मैं मैं की पूरी पिक्चर दुनिया ने देखी। मामला अब सड़कों पर आ गया है। कहा जा रहा है कि जिसको पाकिस्तान का पासपोर्ट चाहिए, वो वंदे मातरम् न गाए और जिसको हिंदुस्तान में रहना है उसे वंदे मातरम् गाना होगा।
अगर इधर राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर राष्ट्रवाद के झंडाबरदार आर-पार की ज़िद में हैं तो वंदे मातरम् नहीं गाने की ज़िद उधर भी है। मज़हब के हवाले से वंदे मातरम् की बंदगी को इस्लाम विरोधी बताने की दलील है।
दरअसल, वंदे मातरम् गाना न तो क़ानूनी बाध्यता है और न अदालती फैसला फिर भी इतिहास यही है कि हिंदुस्तान की आज़ादी की लड़ाई वंदे मातरम् के नारे से ही बुलंद हुई। सवाल है कि आज़ादी की लड़ाई में जिस वंदे मातरम् ने देश जोड़ने का काम किया आज उसी वंदे मातरम् के नाम पर देश तोड़ने का काम क्यों? इसलिए असल सवाल है कि वंदे मातरम् के गौरवशाली इतिहास पर वर्तमान में विवाद का कीचड़ क्यों? बेशक वंदे मातरम् चर्चा से परे है लेकिन वंदे मातरम् कहने-न कहने पर देशभक्ति का लाइसेंस बांटना बेमानी है।