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दादी इंदिरा गांधी की साड़ी क्यों पहनने लगीं प्रियंका? कहानियां जो नहीं जानते आप

दादी इंदिरा की तरह ही प्रियंका गांधी का अंदाज भी है। बोलने का वैसा ही अंदाज़, वैसी ही चाल ढाल, वैसी ही साड़ी और वैसा ही हेयर स्टाइल। सबकुछ दादी इंदिरा गांधी की तरह। रायबरेली और अमेठी के कार्यकर्ताओं के दिल में दादी की तरह ही उतर चुकी हैं प्रियंका गांधी।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 24, 2019 12:03 IST
दादी इंदिरा गांधी की साड़ी क्यों पहनने लगीं प्रियंका? कहानियां जो नहीं जानते आप- India TV Hindi
दादी इंदिरा गांधी की साड़ी क्यों पहनने लगीं प्रियंका? कहानियां जो नहीं जानते आप

नई दिल्ली: प्रियंका गांधी, इस समय विदेश में हैं, लेकिन देश में हर किसी की जुबान पर चर्चा उन्हीं की है। प्रियंका गांधी आज बकायदा फुल टाइम पॉलिटिक्स में लॉन्च हो गईं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकॉलजी की डिग्री हासिल करने वाली प्रियंका ने अगेंस्ट आउटरेज नाम से किताब भी लिखी है। प्रियंका को अपनी दादी से बेहद लगाव था और दादी इंदिरा को अपनी पोती से। कहते हैं कि प्रियंका में इंदिरा गांधी अपना अक्स देखा करती थीं। 16 बरस की उम्र से ही प्रियंका जोरदार भाषण देने लगी थीं। इंदिरा से मिली सीख से लेकर दादी की उस साड़ी तक का जिक्र उन्होंने अपनी किताब में किया है।

आज की प्रियंका गांधी ने बचपन में ही अपनी दादी के नक्शे कदम पर चलना सीख लिया था। महज 7 साल की उम्र में इंदिरा की दुलारी प्रियंका गांधी दादी से कई सवाल पूछती थीं। प्रियंका दादी से इतना प्यार करती थीं कि उनके बिना खाना तक नहीं खातीं थीं। अक्सर इंदिरा गांधी को मीटिंग से घर लौटने में देर हो जाती थी तो प्रियंका दादी से रूठ जाती थीं।

दादी इंदिरा की तरह ही प्रियंका गांधी का अंदाज भी है। बोलने का वैसा ही अंदाज़, वैसी ही चाल ढाल, वैसी ही साड़ी और वैसा ही हेयर स्टाइल। सबकुछ दादी इंदिरा गांधी की तरह। रायबरेली और अमेठी के कार्यकर्ताओं के दिल में दादी की तरह ही उतर चुकी हैं प्रियंका गांधी। उन्हें करीब से जानने वाले बताते हैं कि रायबरेली हो या अमेठी, दोनों जगहों पर प्रियंका गांधी कार्यकर्ताओं को उनके नाम से जानती हैं।

जब प्रियंका मजह 12 साल की थीं तो उन्हें वो सदमा मिला जिसकी टीस आज भी उनके दिल में उठती है। वो तारीख थी 31 अक्टूबर 1984 जब प्रियंका गांधी ने अपनी जान से प्यारी दादी को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया था। जो दादी कीट पतंगों तक पर पांव न रखने का अहिंसावादी सबक सिखाया करती थीं उन्हीं इंदिरा गांधी के जिस्म को 30 गोलियों से छलनी किया गया था। 

दादी की मौत से 12 साल की प्रियंका को ऐसा सदमा दिया कि चिता की आग देखकर वो बिल्कुल मौन हो गईं। कई महीनों तक उन्होंने किसी से ठीक से बात तक नहीं की थी, यहां तक की प्रियंका ने खाना-पीना तक छोड़ दिया था। दादी की हत्या के बाद प्रियका गांधी की सामाजिक जिंदगी पूरी तरह प्रधानमंत्री आवास की दीवारों में सिमट कर रह गईं।

दादी की मौत के बाद प्रियंका और राहुल गांधी के स्कूल जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई। प्रियंका घर में ही भाई के साथ पढ़ाई करती थीं। दोनों को कड़ी सुरक्षा के साये में रहना पड़ता था। इस दौरान प्रियंका अक्सर दादी के कमरे जातीं और उनकी चीज़ों को घंटों तक निहारती, उनमें अपनी दादी को महसूस करतीं। कहते हैं कि इंदिरा गांधी के पास साड़ियों की बड़ी कलेक्शन थी। प्रियंका आज भी रैलियों में दादी की उन्हीं साड़ियों में नजर आती हैं।

दादी की मौत के बाद भी प्रियंका उनके भाषणों को घर में देखा करती थीं। इंदिरा गांधी की मौत के चार साल बाद प्रियंका ने महज 16 साल की उम्र में अपना पहला सार्वजनिक भाषण दिया था। भाषण की शैली और अंदाज दोनों हू-ब-हू इंदिरा गांधी जैसा था। दादी जैसा राजनीतिक नजरिया रखने वाली प्रियंका बचपन से ही अपने पिता के साथ रायबरेली जाया करती थीं और जनता के साथ ठीक वैसे मिलती थीं जैसे इंदिरा गांधी मिला करतीं थीं। शायद यही वजह है कि आज भी उनके भाषणों में वही अंदाज़ नज़र आता है।

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