चंडीगढ़: पंजाब में विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह बेहद खराब तरीके से सामने आ रही है। राज्य में कांग्रेस के लिए मुसीबत कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। जिस नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त करके कांग्रेस पार्टी ने राज्य में अपने ताकतवर नेता अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया था उन्हीं नवजोत सिंह सिद्धू ने अब पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया है। सिद्धू को कांग्रेस पार्टी ने करीब 2 महीने पहले यानि जुलाई में ही पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था। आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि सिर्फ 2 महीने में ही सिद्धू ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया और कांग्रेस पार्टी के सामने विधानसभा चुनाव को लेकर नई चुनौती खड़ी कर दी है।
हाल में पंजाब में नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नए मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है और माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में अपने लोगों को नहीं लिए जाने की वजह से सिद्धू नाराज हो गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि सिद्धू अपने करीबी नेताओं को मंत्री बनवाना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है नाराजगी के चलते सिद्धू ने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया। माना जा रहा है कि पंजाब में राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने से भी सिद्धू नाराज चल रहे थे, इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह की करीबी अरुणा चौधरी को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी, माना जा रहा है कि सिद्धू उससे भी नाराज थे।
यह भी माना जा रहा है कि सिद्धू केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बना रहे थे कि अगर 2022 में कांग्रेस पार्टी की पंजाब में जीत होती है तो चन्नी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए। सिद्धू पहले भारतीय जनता पार्टी के सांसद हुआ करते थे और 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा को छोड़ दिया था, उस समय पहले वे आम आदमी पार्टी ज्वाइन करना चाहते थे लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है जो अपने दम पर चुनाव जीतवाने में सक्षम हैं। ऐसा कहा जाता है कि 2017 का पंजाब विधानसभा चुनाव भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने दम पर जीता था। ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले अपने ताकतवर नेता को मुख्यमंत्री पद से हटाना और ऐसे नेता को पंजाब कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त करना जो 5 साल पहले तक भारतीय जनता पार्टी में होता था, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाल सकता है। सिद्धू को अध्यक्ष नियुक्त करके पहले ही कांग्रेस पार्टी की पंजाब इकाई में घमासान मचा हुआ था, और अब सिद्धू ने त्यागपत्र दे दिया है जिससे पार्टी की साख पर बट्टा लग गया है।
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