Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राजनीति
  4. BJP को शरद पवार के अनुभव को समझने में 5 साल क्यों लगे: शिवसेना

BJP को शरद पवार के अनुभव को समझने में 5 साल क्यों लगे: शिवसेना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साथ मिल कर काम करने की पेशकश किए जाने का शरद पवार द्वारा किए गए खुलासे के कुछ दिनों बाद शिवसेना ने हैरानी जताते हुए सवाल किया है कि राकांपा प्रमुख की ‘‘उपयोगिता एवं अनुभव’’ को समझने में भाजपा को पांच साल क्यों लग गए।

Reported by: Bhasha
Published on: December 04, 2019 17:10 IST
Sharad Pawar and PM Modi- India TV Hindi
Sharad Pawar and PM Modi

मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साथ मिल कर काम करने की पेशकश किए जाने का शरद पवार द्वारा किए गए खुलासे के कुछ दिनों बाद शिवसेना ने हैरानी जताते हुए सवाल किया है कि राकांपा प्रमुख की ‘‘उपयोगिता एवं अनुभव’’ को समझने में भाजपा को पांच साल क्यों लग गए।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामाना’ में बुधवार को प्रकाशित एक संपादकीय में यह सवाल किया गया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से भाजपा क्या लाभ उठाने की कोशिश कर रही थी, जबकि एनसीपी को भगवा पार्टी के नेताओं ने ‘नेचुरली करप्ट पार्टी’ (स्वभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी) कह कर संबोधित किया था। इसमें कहा गया है, ‘‘खास बात है यह कि पवार की पार्टी से 54 विधायकों के चुने जाने के बाद उनके (पवार के) अनुभव से (भाजपा को) साक्षात्कार हुआ।’’

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘भाजपा की सभी कोशिशें सिर्फ शिवसेना को सत्ता में आने से रोकने के लिए थी। हालांकि, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सत्ता हासिल करने की भाजपा की योजना नाकाम कर दी।’’ सामना में भाजपा को यह भी चेतावनी दी गई है, ‘‘ये महाराष्ट्र है। फिर से पांव फिसला तो गिर पड़ोगे।’’

पवार ने सोमवार को कहा था कि मोदी ने साथ मिल कर काम करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने यह पेशकश खारिज कर दी थी। राकांपा प्रमुख ने कहा था कि उन्होंने मोदी को यह स्पष्ट कर दिया कि यह संभव नहीं होगा। इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए शिवसेना ने कहा, ‘‘हमें आश्चर्य है कि भाजपा को पवार की उपयोगिता एवं अनुभव को समझने में पांच साल क्यों लगे।’’

गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को हुए राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। वहीं शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली। सामना में इस बात का जिक्र किया गया है कि मोदी ने शुरूआत में एनसीपी को ‘नेचुरली करप्ट पार्टी ’ और विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र के विकास में पवार के योगदान पर सवाल उठाए थे।

शिवसेना ने सवाल किया, ‘‘यदि यह सब सच था, तो राकांपा के अनुभव से भाजपा किस तरह का लाभ उठाना चाहती है?’’ इसमें कहा गया है, ‘‘ विधानसभा चुनाव के पहले पवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का नोटिस भेजकर दबाव बनाया गया। पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल को भी जांच के लिए बुलाया गया। पटेल का यह मामला दो-तीन दशक पहले का है। लेकिन ‘ईडी’ ने यह चुनाव के दौरान ढूंढ़ निकाला और उस प्रकरण का उल्लेख भाजपा नेता लोकसभा चुनाव के दौरान करने लगे।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘ विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने की यह भ्रष्ट तैयारी थी। लेकिन पवार दिल्ली (केंद्र सरकार) के दबाव की तरकीब के आगे नहीं झुके।’’

ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में पवार के खिलाफ सितंबर में धन शोधन का एक मामला दर्ज किया था। शिवसेना ने कहा, ‘‘पवार की तरह ही, उद्योगपति राहुल बजाज ने भी अपनी बात कही। देश के गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में बजाज ने कहा कि आपके शासन में खुलकर बोलने की और भयमुक्त होकर जीने की आजादी नहीं रही।’’ संपादकीय में कहा गया है, ‘‘ये हिम्मत के काम हमारे महाराष्ट्र में ही हुए क्योंकि हिम्मत से जीने का अनुभव महाराष्ट्र को दूसरे राज्यों से ज्यादा है।’’

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Politics News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement