नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में अयोग्य करार दिया है। अब इस मामले में अंतिम फैसला राष्ट्रपति को करना है। यह पहला मामला नहीं है जब जनप्रतिनिधियों पर कोई कार्रवाई हुई है। इससे पहले सोनिया गांधी और जया बच्चन को भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में अपनी सदस्यता छोड़नी पड़ी थी। सबसे पहले हम जानते हैं कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट क्या है?
क्या है ऑफिस ऑफ प्रॉफिट:
संविधान के अनुच्छेद 102(1) (A) के तहत एमपी या एमएलए ऐसे किसी पद पर नहीं रह सकता जहां वेतन, भत्ते या अन्य फायदे मिलते हैं। इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 191(1)(A) और जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 9(A) के तहत भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में सांसदों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रावधान किया गया है।
क्या था मामला
13 मार्च 2015 को अरविंद केजरीवाल सरकार ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को ससंदीय सचिव नियुक्त किया था। दिल्ली के एक वकील प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करनेवाले वकील प्रशांत ने जब यह कदम उठाया तो आनान फानन में दिल्ली सरकार ने 23 जून 2015 को ऑफिस प्रॉफिट बिल से जुड़ा अमेंडमेंट विधानसभा में पारित करा लिया। लेकिन जब यह मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास पहुंचा तो तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे खारिज कर दिया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली सरकार के उस बिल को मंजूरी देने से मना कर दिया था जिसमें संसदीय सचिव के पोस्ट को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से अलग करने का प्रावधान था।
सोनिया गांधी और जया बच्चन को छोड़नी पड़ी थी सदस्यता
2006 में यूपीए-1 के समय ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का विवाद खड़ा होने के चलते सोनिया गांधी को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर रायबरेली से दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था। सांसद होने के साथ सोनिया गांधी को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष बनाए जाने से यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बन गया था। वर्ष 2006 में ही ऐसे ही एक मामले में जया बच्चन पर भी आरोप लगा कि वह राज्यसभा सांसद होने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम की चेयरमैन भी हैं। इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला मानते हुए चुनाव आयोग ने जया बच्चन को अयोग्य करार दिया। जया बच्चन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर किसी एमपी या एमएलए ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट लिया है तो उसकी सस्यता अमान्य होगी चाहे उसने वेतन या अन्य भत्ते लिए हों या नहीं।