कोलकाता: ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की सराकर केंद्र की एक और योजना को अपने यहां लागू न करने पर विचार कर रही है। रिपोर्टस् के मुताबिक, पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार से ‘मत भिन्नता’ के कारण केंद्र की ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना से बाहर होने पर विचार कर रहा है। केंद्र सरकार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले लोगों को ध्यान में रखकर यह योजना लाई है। इस योजना के तहत लाभार्थी देश के किसी भी हिस्से में राशन की दुकानों से रियायती अनाज खरीद सकते हैं।
‘हमें योजना की कोई जानकारी नहीं’
इस राशन कार्ड को होने पर किसी व्यक्ति के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की स्थिति में प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि कोई भी गरीब सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभ से वंचित न रह पाए। पश्चिम बंगाल के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार की इस योजना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। मलिक ने कहा, ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना के संबंध में हमें केंद्र सरकार से कोई सूचना नहीं मिली है। इस मामले में उनके (केंद्र) साथ जुड़ने का कोई सवाल ही नहीं है।’
‘हम पहले ही बनवा रहे राशन कार्ड’
केंद्र के साथ ‘मत भिन्नता’ का उल्लेख करते हुए ममता के मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार डिजिटल राशन कार्ड जारी करने के लिए पहले ही लगभग 200 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। उन्होंने कहा, ‘हमें यह राशि वापस कौन देगा? हम इसे (एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड) क्रियान्वित नहीं करेंगे।’ मंत्री ने कहा, ‘इसके अलावा, एक बड़ी राशि है जो हमें केंद्र सरकार से मिलनी है, जो 6 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।’ (भाषा)