कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने वाले लोकसभा सांसद सुनील मंडल ने मंगलवार को कहा कि वह नयी पार्टी में ''सहज महसूस'' नहीं कर रहे। मंडल के इस बयान से उनके भविष्य के राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वर्धमान पूर्व सीट से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल करने वाले मंडल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब उनकी पुरानी पार्टी दल-बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य घोषित करने के लिये लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को प्रतिवेदन भेजने की तैयारी कर रही है।
मंडल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने जिले में भाजपा की जीत के लिये हर संभव प्रयास किया, फिर भी पार्टी में तृणमूल से आने वालों को लेकर विश्वास की कमी है। उन्होंने कहा, ''भाजपा तृणमूल से आने वालों पर विश्वास नहीं करती। भाजपा की सांगठनिक ताकत को लेकर मेरे विचार भी गलत साबित हुए हैं। मैं यहां सहज महसूस नहीं कर रहा। '' मंडल ने दावा किया कि जो लोग पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान राज्य के बाहर से भाजपा के लिए प्रचार करने आए थे, उन्हें बंगाली संस्कृति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
उन्होंने कहा, ''ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग हिंदी से परिचित नहीं हैं, ऐसे में उनके भाषण जनता को जोड़ने में विफल रहे।'' मंडल पिछले साल दिसंबर में खड़गपुर में गृह मंत्री अमित शाह की एक रैली में शुभेन्दु अधिकारी के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने दावा किया, ''शुभेन्दु ने साथ काम करने का अपना वादा नहीं निभाया। उन्होंने मुझसे संपर्क नहीं रखा। मेरा अब उनसे कोई संपर्क नहीं है।'' यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल में वापसी करना चाहते हैं तो मंडल ने कहा कि वह इस बारे में सोचेंगे।
मंडल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उनके पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। घोष ने कहा, ''हमारी पार्टी एक बड़ी नदी की तरह है, जहां कुछ स्वार्थी लोग आ सकते हैं और जा सकते हैं।'' तृणमूल के वरिष्ठ सांसद कल्याण बंदोपाध्याय ने मंडल को ''तुच्छ व्यक्ति'' बताया। उन्होंने कहा, ''हम तुच्छ, मौकापरस्त व्यक्ति के बयान पर टिप्पणी नहीं करते, जिनका कोई खास जनाधार नहीं है।''