नई दिल्ली: राष्ट्रीय न्यायिक जवाबदेही आयोग (एनजेएसी) कानून को उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त किए जाने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि भारतीय लोकतंत्र में ऐसे लोगों की निरंकुशता नहीं चल सकती, जो चुने नहीं गए हों। जेटली ने यह भी कहा कि न्यायपालिका को मजबूत बनाने के लिए किसी को संसदीय संप्रभुता को कमजोर करने की जरूरत नहीं है ।
बताए गए तर्कों में हैं त्रुटियां
एनजेएसी कानून, 2014 और 99वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार देकर निरस्त करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ की ओर से बताए गए तर्कों को त्रुटिपूर्ण तर्क करार देते हुए जेटली ने चेतावनी दी कि यदि चुने गए लोगों को कमजोर किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
जेटली ने फेसबुक पर पोस्ट के माध्यम से रखी अपनी बात
दि एनजेएसी जजमेंट - ऐन ऑल्टरनेटिव व्यू? शीर्षक से फेसबुक पर किए गए एक पोस्ट में जेटली ने कहा, भारतीय लोकतंत्र में ऐसे लोगों की निरंकुशता नहीं चल सकती जो चुने हुए नहीं हो और यदि चुने गए लोगों को कमजोर किया गया, तो लोकतंत्र खुद ही खतरे में पड़ जाएगा।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संसद की संप्रभुता साथ-साथ संभव
जेटली ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संसद की संप्रभुता के बारे में चिंतित होने के नाते उनका मानना है कि दोनों का सह-अस्तित्व हो सकता है और निश्चित तौर पर होना चाहिए।
संसदीय संप्रभुता को कमज़ोर करना गैरज़रूरी
उन्होंने कहा, न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान का एक अहम मूल ढांचा है। इसे मजबूत करने के लिए किसी को संसदीय संप्रभुता को कमजोर करने की जरूरत नहीं है। संसदीय संप्रभुता भी न सिर्फ एक जरूरी बुनियादी ढांचा है बल्कि लोकतंत्र की आत्मा भी है।