जम्मू: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में ज्वालामुखी बन रहा है और इस बात को लेकर डर व्यक्त किया कि जब यह फटेगा तो क्या हालात होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान टी-20 क्रिकेट विश्व कप में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जीत पर घाटी में मनाए गए जश्न का मकसद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को भड़काना था, जिसने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था। अब्दुल्ला ने पुंछ के सूरनकोट में एक जनसभा में कहा, “उनका (जिन्होंने जीत का जश्न मनाया) उनसे (पाकिस्तान से) कुछ लेना-देना नहीं है…यह बीजेपी को भड़काने के मकसद से किया गया। वे बच्चे और युवा लड़के थे तथा भाजपा को इसे आंख खोलने वाले सबक के तौर पर देखना चाहिए।”
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी का दावा है कि एक नया चरण शुरू हो गया है और आतंकवाद समाप्त हो गया है, लेकिन स्थिति कुछ अलग है। उन्होंने कहा कि शाह ही थे जिन्होंने अनुच्छेद 370 के तहत राज्य के विशेष दर्जे को रद्द करने की घोषणा की थी और रविवार को पाकिस्तान की क्रिकेट जीत के बाद जश्न के भी गवाह बने। उन्होंने कहा, “उन्होंने (बीजेपी) हमसे अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए छीन लिया और दावा किया कि एक भी गोली नहीं चली। जब आपने हर घर के दरवाजे के बाहर एक सिपाही को बैठा दिया तो गोलियां कैसे चलाई जातीं? एक ज्वालामुखी तब भी बन रहा है जब उन्हें लगता है कि उन्होंने (लोगों को) खामोश कर दिया है।”
उन्होंने कहा, “यह ज्वालामुखी एक दिन फूटेगा और भगवान जाने इसका स्वरूप व आकार क्या होगा। उन्हें जम्मू-कश्मीर के लोगों को अनुच्छेद 370 वापस करना होगा।” अगस्त 2019 में, सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। रैली को संबोधित करते हुए, अब्दुल्ला ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए उनके द्वारा की जा रही वकालत का भी बचाव किया और लोगों से कहा कि वे दोनों देशों में अच्छी भावना और उपमहाद्वीप में शांति और विकास के व्यापक हित में ईश्वर से प्रार्थना करें।
बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इसकी नीतियों ने देश में किसान आंदोलन को जन्म दिया है, यहां तक कि उसे तीन कृषि विधेयकों को संसद में प्रवर समिति को भेजने के लिए कहा गया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा युद्ध की तैयारी में खर्च करते हैं, जिससे उनके गरीब लोगों पर असर पड़ता है।
उन्होंने कहा, “जम्मू कश्मीर के लोग दोनों देशों की दुश्मनी के बीच फंस गए हैं। दुश्मनी भी हिंदुओं और मुसलमानों के नाम पर नफरत फैलाने और लोगों को बांटने का मुख्य कारण है।” उनकी राय में दोनों देशों में राजनीतिक दल कश्मीर के नाम पर चुनाव जीत रहे हैं। उन्होंने कहा, “वे (पाकिस्तान) कहते हैं कि कश्मीर हमारे गले की फांस है और हम 75 साल से पीड़ित हैं। इस पक्ष का कहना है कि यह हमारी जमीन है और हम उस जमीन को वापस ले लेंगे जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। जम्मू-कश्मीर के लोगों से किसी ने नहीं पूछा कि हम कहां खड़े हैं।”