नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति पद के लिए कल होने जा रहे चुनाव में सत्तारूढ़ राजग के उम्मीदवार एम वेंकैया नायडू का पलड़ा भारी होने के बीच संसद सदस्य मतदान के लिए तैयार हैं। इस चुनाव का कल शाम तक परिणाम आ जाएगा। लोकसभा में बहुमत वाले राजग की ओर से उम्मीदवार बनाए गये पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू का देश का अगला उपराष्ट्रपति चुने जाने का रास्ता लगभग साफ है। विपक्ष ने गोपाल कृष्ण गांधी को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले बीजद और जदयू ने उपराष्ट्रपति चुनाव में गांधी का समर्थन करने का फैसला किया है। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
हालांकि, जदयू ने बिहार में महागठबंधन का दामन छोड़ दिया है और भाजपा के साथ मिलकर नयी सरकार बनायी है, लेकिन पार्टी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके गांधी के पक्ष में मतदान करने का अपना फैसला नहीं बदला है। कल सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक होने वाले मतदान में सांसद अपनी पसंद जाहिर करने के लिए खास तौर से तैयार कलम का इस्तेमाल करेंगे। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने परंपराओं का हवाला देते हुए बताया कि मतदान के तुरंत बाद वोटों की गिनती होगी और शाम सात बजे तक परिणाम भी आ जाएंगे।
गौरतलब है कि इस चुनाव में राजनीतिक दल व्हिप जारी नहीं कर सकते हैं क्योंकि वोट गोपनीय मतपत्र के माध्यम से डाले जाते हैं। मौजूदा उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। वह लगातार दो बार इस पद पर रह चुके हैं। राज्यसभा के पदेन सभापति एवं देश के उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान का अधिकार संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित तथा नामित सदस्यों को होता है।
दोनों सदनों में सदस्यों की कुल संख्या 790 है, लेकिन वर्तमान में लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक सीट रिक्त है। वहीं, लोकसभा सदस्य छेदी पासवान न्यायिक फैसले के कारण मतदान के लिए अयोग्य करार दिये गये हैं। लोकसभा के कुल 545 सदस्यों में भाजपा के 281 सांसद हैं, जबकि भाजपा नीत राजग के कुल 338 सदस्य हैं। वहीं, 243 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा के कुल 56 सदस्य हैं जबकि सदन की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में कांग्रेस के पास 59 सदस्य हैं।
जदयू के समर्थन को ठुकराने का सुझाव नहीं मानेंगे गोपालकृष्ण
विपक्षी पार्टियों की ओर से उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी ने गुरुवार को उस सुझाव को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें कहा गया था कि उन्हें जनता दल (युनाइटेड) का समर्थन नहीं लेना चाहिए। नीतीश कुमार द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाए जाने के बाद गोपालकृष्ण को यह सुझाव मिला था, जिसे उन्होंने मानने से इनकार कर दिया। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार को भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से हाथ मिलाने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता तारिक अनवर ने गोपालकृष्ण को सुझाव दिया था कि उन्हें जदयू का समर्थन लेने से इनकार करना चाहिए।
इस सुझाव के बारे में पूछे जाने पर गोपालकृष्ण ने कहा, "नीतीश बाबू ने जो फैसला लिया, वह उनका अपना फैसला था और यह उनका विशेषाधिकार है।" नीतीश जब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के समर्थन वाली बड़ी गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, तब उन्होंने गोपालकृष्ण को समर्थन देने की घोषणा की थी। इसके बाद नीतीश ने स्वयं ही दोनों पार्टियों से पल्ला झाड़ते हुए भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से हाथ मिला लिया। लेकिन, उन्होंने यह भी कहा कि वह उप राष्ट्रपति के चुनाव में गोपालकृष्ण का समर्थन करेंगे।
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