नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन 10 भाषाओं में बोलने का एक तरह का रिकॉर्ड बनाया है। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने संसद के ऊपरी सदन में 22 भारतीय भाषाओं की एक साथ भाषांतरण के लिए सुविधा शुरू होने की भी घोषणा की। इससे पहले राज्यसभा में आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं में से असमी, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगू और कन्नड़ में ही भाषांतरण (एक से दूसरी भाषा में बदलने) की सुविधा उपलब्ध थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब राज्यसभा सदस्यों को डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी भाषाओं के लिए भी यह सुविधा मिलेगा। इस सुविधा की घोषणा करते हुए नायडू ने बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, तमिल और तेलुगू के कुछ शब्द बोले। हालांकि, सदस्यों को राज्य सभा के सचिवालय में इस सुविधा के इस्तेमाल के लिए पहले से ही सूचना देनी होगी। वेंकैया नायडू ने कहा कि शुरू में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और अनुवादकों को वक्ता के बोलने की गति से सामंजस्य स्थापित करने में कुछ समय लग सकता है।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इसमें संस्कृत को भी शामिल करना चाहिए और उसका शब्दकोष बनाना चाहिए। नायडू ने घोषणा की कि राज्यसभा ने रवांडा के उच्च सदन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसका मकसद अंतर-संसदीय संपर्क को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि 66 साल में पहली बार राज्यसभा ने ऐसा कोई समझौता किया है। उन्होंने कहा कि इसके पहले लोकसभा ही ऐसे समझौते करती थी।