नई दिल्ली: एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को देश के उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित सादे समारोह में शपथ-ग्रहण किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता को हिन्दी में शपथ दिलाई। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा के सभापति का काम संभाला। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने स्वागत भाषण में वेंकैया नायडू के सार्वजनिक जीवन में योगदान की चर्चा की और खुद को उनको साथ काम करने का मौका मिलने पर सौभाग्यशाली बताया। पीएम मोदी ने कहा कि वेंकैया जी स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाले पहले उपराष्ट्रपति हैं। इसके साथ ही वह पहले उपराष्ट्रपति भी है जो सदन से ही निकले हैं। ये भी पढ़ें: 12000 करोड़ की रेमंड के मालिक विजयपत सिंघानिया पाई-पाई को मोहताज
पीएम ने आगे कहा कि वेंकैया नायडू किसान के बेटे हैं और कई साल तक उनके साथ काम करने का मौका मिला। शहरी विकासमंत्री रहते हुए भी उन्हें किसानों की चिंता रहती थी। इसमें कोई शक नहीं कि आज सभी समान्य लोगों का बड़े संवैधानिक पदों पर पहुंचना लोकतंत्र की ताकत है।
आंध्र प्रदेश के नेल्लूर जिले के एक सीधे-सादे कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नायडू को उनकी वाक् क्षमता के लिए जाना जाता है। आंध्र प्रदेश विधानसभा में दो बार सदस्य रह चुके नायडू कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे।
अटल बिहारी वाजपेयी के समय राजग की पहली सरकार में 68 वर्षीय नायडू ग्रामीण विकास मंत्री रहे। वह जुलाई 2002 से अक्तूबर 2004 तक लगातार दो कार्यकाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया। आपातकाल के समय नायडू एबीवीपी के कार्यकर्ता रहे और जेल में भी रहे।
मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के नाते उन्होंने संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध की स्थिति में सोनिया गांधी समेत विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधकर गतिरोध को दूर करने का प्रयास किया। अपने भाषण और वक्तव्यों में तुकांत शब्द बोलने के कारण भी उन्हें अच्छा वक्ता माना जाता है।