जयपुर। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के नए अध्यक्ष अब वैभव गहलोत है। आरसीए में सियासी ड्रामे का अंत हुआ और वैभव गहलोत के खत्म होते राजनीतिक करियर मे पिता अशोक गहलोत ने नई जान डाल दी। जी हां, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे को किसी तरह से आरसीए की गद्दी पर तो बैठा दिया गया , लेकिन पार्टी मे गुटबाजी का दौर अब चरम पर पहुंच चुका है।
बेटे के सियासी भविष्य को बचाने के लिये गहलोत ने झोंकी ताकत
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन मे 25-6 से जीतर वैभव गहलोत अध्यक्ष बन गये। लेकिन वैभव गहलोत की ये नई ताजपोशी चर्चा में इसलिये ज्यादा है क्योंकि ये माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में जोधपुर सीट से करारी हार के बाद बेटे वैभव गहलोत का राजनीतिक करियर दांव पर लग चुका था।
वैभव गहलोत के सियासत के सफर का अंत न हो इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरसीए अध्यक्ष बनाने के लिये हर संभव कोशिश की। यही वजह है कि 1 दिन पहले सवाई मान सिंह स्टेडियम के बाहर कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी ने विरोध जाहिर करते हुये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पुत्र मोह के चलते धृतराष्ट्र तक बता दिया।
कांग्रेस नेता के बयान से पार्टी मे मचा हड़कंप
आरसीए का चुनावी मैदान सियासत के अखाड़े मे तब्दील हो गया। रामेश्वर डूडी, जो चुनाव लड़ना चाहते थे आरसीए के नियम कानून के चलते फिट नही बैठ पाये और वैभव गहलोत की खिलाफत करनी शुरू कर दी। रामेश्वर डूडी की बयानबाजी से पार्टी के नेता भले ही किनारा काटने लगे हों लेकिन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से जब इस गुटबाजी के बारे मे सवाल किया तो पायलट ने भी साफ कह दिया की जो कुछ भी हुआ वो सही नहीं। दोनो ही कांग्रेस के नेता है और बैठकर आपस मे बात करनी चाहिए थी। इस गुटबाजी का असर उपचुनावो मे पड़ सकता है।
सचिन पायलट के इस बयान ने साफ कर दिया कि राजस्थान मे कांग्रेस गुटबाजी से ऊबर नहीं पा रही है। ऐसे मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुत्र मोह राजनीति को नई दिशा मे ले जाता दिखाई पड़ रहा है। बहरहाल सियासत की नई पिच पर वैभव गहलोत कितनी सफल बल्लेबाजी कर पाते है ये वक्त बतायेगा...