देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद से मंगलवार को इस्तीफा देने के साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत भी अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। हालांकि, उत्तराखंड के 20 वर्ष के इतिहास में 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने से पहले कुर्सी गंवाने वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में रावत का स्थान आठवां है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च, 2017 को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और केवल 9 दिन बाद वह अपनी सरकार के 4 साल पूरे करने वाले थे, लेकिन आज उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
सिर्फ एनडी तिवारी ही पूरा कर पाए कार्यकाल
प्रदेश में पहली निर्वाचित सरकार के मुखिया के रूप में 2002 में कमान संभालने वाले कांग्रेस के दिग्गज नारायण दत्त तिवारी ही वह एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। 9 नवंबर, 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी बने लेकिन एक साल में ही उन्हें लेकर प्रदेश बीजेपी में इतना असंतोष बढ़ा कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें हटाकर भगत सिंह कोश्यारी को राज्य की कमान सौंप दी। फरवरी, 2002 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी के हारने के साथ ही कोश्यारी भी सत्ता से बाहर हो गए।
खंडूरी ने नैतिक जिम्मेदारी ले दिया था इस्तीफा
कोश्यारी के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले तिवारी के कार्यकाल के दौरान भी उन्हें हटाए जाने चर्चाएं चलती रहीं लेकिन उनके कद और अनुभव के सामने उनके विरोधियों की इच्छाएं कभी परवान नहीं चढ़ सकीं और उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। वर्ष 2007 में कांग्रेस के चुनाव हारने के बाद ही वह मुख्यमंत्री पद से हटे। उसके बाद सत्ता में आई बीजेपी ने पूर्व फौजी भुवनचंद्र खंडूरी पर भरोसा जताया लेकिन 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के हाथों प्रदेश की सभी पांचों सीटें गंवाने से क्षुब्ध होकर उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया।
निशंक भी पूरा नहीं कर पाए अपना कार्यकाल
खंडूरी की जगह आए वर्तमान केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और 2012 के विधानसभा चुनावों से कुछ माह पहले मुख्यमंत्री पद पर फिर खंडूरी की वापसी हो गई। विधानसभा चुनाव जीतकर 2012 में सत्ता में आई कांग्रेस ने विजय बहुगुणा पर दांव खेला लेकिन 2013 की केदारनाथ आपदा ने उनके मुख्यमंत्री पद की बलि ले ली और उनकी जगह हरीश रावत को प्रदेश की कमान सौंपी गई। हालांकि, रावत भी वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव हारकर मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल हो गए।