लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अपना दल का विलय नहीं होगा, भले ही इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से पार्टी सांसदों को बाहर रहना पड़े। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अनुप्रिया पटेल को मंत्री पद दिए जाने से पहले अपना दल पर विलय करने के लिए भाजपा द्वारा दबाव बनाया जा रहा है।
अपना दल के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, "विलय का सवाल ही पैदा नहीं होता। अपना दल अपनी ताकत हासिल कर रहा है और हम उन लोगों को धोखा नहीं दे सकते हैं, जिन्होंने हम पर विश्वास जगाया है।" पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी कई मौकों पर कहा है कि वह भाजपा में अपनी पार्टी का विलय कभी नहीं करेंगी। अपना दल के अध्यक्ष और उनके पति आशीष सिंह ने भी अनुप्रिया के रुख का समर्थन किया है। पार्टी विधायक ने कहा, "हमने एक विभाजन सहित कई तूफानों को झेला है, लेकिन पार्टी अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व में आगे बढ़ी है।"
अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल के रोहनिया से विधानसभा उपचुनाव हारने और हार के लिए अनुप्रिया को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद 2014 में अपना दल का विघटन हो गया था। कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया को पार्टी से निष्कासित कर दिया, जिसके बाद अनुप्रिया ने अपना दल (सोनेलाल) को मैदान में उतारा। मां और बेटी के बीच की तल्खी का मामला अब अदालत में है।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा चाहती है कि अपना दल विलय करे, क्योंकि वह कुर्मी वोट बैंक पर पूरी पकड़ बनाना चाहती है। वहीं जाहिर है, अपना दल अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखना चाहता है, ताकि भविष्य में अन्य गठबंधनों का विकल्प चुन सके।
वर्ष 2012 तक अपना दल को एक गैर-राजनीतिक इकाई के रूप में देखा जाता था, वहीं अब पार्टी के उत्तर प्रदेश विधानसभा में नौ सदस्य और लोकसभा में दो सदस्य हैं।