Saturday, November 23, 2024
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केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का बेंगलुरु में निधन, कैंसर से थे पीड़ित, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक

पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का रविवार शाम निधन हो गया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 12, 2018 9:32 IST
Union minister Ananth Kumar passes away at 59 in Bengaluru - India TV Hindi
Union minister Ananth Kumar passes away at 59 in Bengaluru | PTI File

बेंगलुरु: केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का बेंगलुरु में सोमवार तड़के 2 बजे निधन हो गया। वह पिछले कुछ महीनों से फेफड़े के कैंसर से जूझ रहे थे। 59 साल के अनंत अमेरिका और ब्रिटेन में इलाज कराने के बाद वह हाल में ही बेंगलुरु लौटे थे। उनका बाद में बेंगलुरु के शंकरा अस्पताल में उपचार चल रहा था। अनंत के निधन के वक्त उनकी पत्नी तेजस्विनी और दोनों बेटियां भी उनके पास मौजूद थीं। उनके पार्टी कार्यालय ने एक बयान में बताया कि कुमार का कैंसर और संक्रमण के बाद पैदा हुई जटिलताओं के कारण निधन हुआ। बयान में बताया गया कि वह पिछले कुछ दिनों से ICU में कृत्रिम जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। 

कुमार का शव श्रद्धांजलि के लिये नेशनल कॉलेज ग्राउन्ड में रखा जाएगा। यह मैदान उनके बेंगलुरु दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुमार का अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनंत कुमार के निधन पर शोक जताया है। PM मोदी ने अनंत के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह हमेशा अपने अच्छे कामों के लिए याद किए जाएंगे। वहीं, कर्नाटक में 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। आज राष्ट्रध्वज भी आधा झुका रहेगा।


अनंत कुमार का जन्म 22 जुलाई 1959 को हुआ था। वह बेंगलुरु दक्षिण सीट से सांसद थे। अनंत भारतीय जनता पार्टी के उन गिन-चुने नेताओं में शामिल थे, जिनकी वजह से पार्टी दक्षिण भारत में अपनी पहचान बना पाई। अनंत 1998 में वाजपेयी सरकार में भी मंत्री थी और पार्टी के अंदर उन्हें ट्रबल शूटर भी माना जाता था। 

अनंत कुमार केंद्र सरकार में रसायन और उर्वरक मंत्रालय का काम देखते थे और संसदीय कार्य मंत्री भी थे। वह बेंगलुरु दक्षिण सीट से लगातार 6 बार सांसद चुने गए। साल 1996 में अनंत कुमार ने बेंगलुरु साउथ सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और उसके बाद उन्होंने कभी हार का मुंह नहीं देखा। आपातकाल के दौरान जेल जा चुके अंनत कुमार अपने छात्र जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए थे। 1985 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सचिव बने। 


भारतीय जनता युवा मोर्चा में काम करने के बाद भाजपा ने 1996 में अनंत कुमार को बेंगलुरु दक्षिण से टिकट दिया था, जहां से वह आज तक लगातार जीतते हुए आए। 1999 में अनंत कुमार को अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया। वाजपेयी मंत्रिमंडल में अनंत कुमार सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री थे। इसके अलावा अनंत कुमार ने शहरी विकास मंत्रालय और खेल मंत्रालय का कामकाज भी संभाला। साल 2004 में भाजपा ने अनंत कुमार को पार्टी का महासचिव बनाया जहां उन्हें मध्य प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ दूसरे राज्यों की ज़िम्मेदारी दी गई।​

यूरिया की सौ फीसदी नीम कोटिंग का लक्ष्य सरकार ने अनंत कुमार के रसायन और उर्वरक मंत्री रहते ही हासिल किया। अनंत कुमार के परिवार में उनकी पत्नी तेजस्विनी एवं बेटियां ऐश्वर्या और विजेता हैं। सभी पार्टियों के नेताओं से अनंत के अच्छे रिश्ते थे। यही वजह है कि फ्लोर मैनेजमेंट के लिए उन्हें संसदीय कार्यमंत्री बनाया गया था। कुमार के निधन पर शोक जताते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'अंनत कुमार के बारे में सुनकर काफी दुख हुआ। उन्होंने लंबा वक्त बीजेपी को दिया। बेंगलुरु उनके दिल और दिमाग में बसता था। भगवान इस क्षति को सहने की शक्ति उनके परिवार को दे।'

वीडियो: कैंसर से पीड़ित केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का बेंगलुरु में निधन

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