नई दिल्ली: सरकार बनाते ही उद्धव ठाकरे एक्शन में हैं। उद्धव ने सबसे पहले आरे कॉलोनी के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज किया और अब नाणार रिफाइनरी के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ नरमी दिखाई है। इतना ही नहीं पिछली सरकार ने जो फैसले लिए थे उनकी भी रिपोर्ट मंगवाई है। इनमें मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना भी शामिल है। इस फैसले से माना जा रहा है कि निकट भविष्य में आरे कॉलोनी में बन रहे मेट्रो कारशेड की तर्ज पर ऐसी कई परियोजनाएं रोकी जा सकती हैं जिन पर बीजेपी-शिवसेना में मतभेद रहे हैं।
सीएम की कुर्सी पर बैठते ही उद्धव ठाकरे एक के बाद एक पिछली सरकार के बड़े फैसले बदल रहे हैं। आरे कॉलोनी के प्रदर्शनकारियों के बाद अब उद्धव ठाकरे ने नाणार रिफाइनरी के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर दर्ज मामले वापस करने का ऐलान किया है। शिवसेना के लिए नाणार रिफाइनरी हमेशा से बड़ा मुद्दा रही है। पिछली सरकार में बीजेपी के साथ सत्ता में होने के बावजूद शिवसेना ने इसका खुलकर विरोध किया था और अब पावर में आने के बाद ये फैसला लिया है।
बता दें कि नाणार परियोजना के लिए इस क्षेत्र के 14 गांवों की लगभग 15,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। नाणार तेल रिफाइनरी परियोजना आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल और सऊदी पेट्रोलियम की दिग्गज कंपनी अरामको और अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के बीच एक महत्वाकांक्षी तीन ट्रिलियन डॉलर का ज्वाइंट वेंचर था। नाणार रिफाइनरी प्रोजेक्ट के खिलाफ 14 गावों की पंचायतों ने भी असहमति जताई थी।
नाणार रिफायनरी मामले से पहले उद्धव ठाकरे आरे मामले में बड़ा फैसला ले चुके हैं। आरे मेट्रो कार शेड निर्माण के खिलाफ आंदोलन करने वाले पर्यावरणविदों पर दर्ज मुकदमा वापस लेने का फैसला किया गया है। उद्धव ठाकरे ने चार्ज संभालते ही पुराने फैसले पलटने और प्रोजेक्ट्स की समीक्षा का सिलसिला शुरू कर दिया है। उद्धव ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की समीक्षा के भी आदेश दिए हैं। इसके अलावा किसानों को लेकर चल रही योजनाओं की भी रिपोर्ट मंगवाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चहेती बुलेट ट्रेन परियोजना पर शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना दोनों ही शुरू से सवाल उठाती रही हैं। उनकी विशेष आपत्ति इसके मुंबई और अहमदाबाद के बीच में चलने को लेकर रही है। हालांकि बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अध्ययन कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने शुरू किया था। मोदी सरकार ने इसे अमली जामा पहनाना शुरू किया, लेकिन अब यदि उद्धव सरकार ने इसमें अड़ंगा लगाया तो सरकार में शामिल कांग्रेस भी उसका साथ दे सकती है।