नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच शिवसेना नेता अंनत तरे ने बीजेपी से गठबंधन टूटने के सवाल पर बड़ा बयान दिया है। इंडिया टीवी से बातचीत में जब शिवसेना नेता से पूछा गया कि शिवसेना की अगर एनसीपी और कांग्रेस से बात नही बनी तो? इस सवाल पर शिवसेना नेता अनंत तरे ने कहा कि यह उद्धवजी अमित शाह जी और आदरणीय मोदी जी तय करेंगे। उन्होनें कहा कि उद्धव ठाकरे ने अभीतक BJP से गठबंधन टूटने का ऐलान नही किया है। शिवसेना नेता ने एनसीपी के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाने की बात को भी नकार दिया। उन्होनें कहा कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा।
आपको बता दें कि अनंत तरे को शिवसेना में बड़े नेता के रुप में देखा जाता है। वह 2000 से 2006 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य थे। वह ठाणे नगर निगम के पूर्व मेयर भी रह चुके है। ऐसे समय में उनकी गठबंधन के सवाल पर यह टिप्पणी ने राजनीतिक सरगर्मियों को बड़ा दिया है।
अनंत तरे पर बीजेपी का बयान
शिवसेना नेता अनंत तरे के इस बयान पर बीजेपी के प्रवक्ता राजीव प्रताव रुडी का भी बयान आया है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जो अभी स्थिती बन गई है मुझे लग रहा है शिवसेना को गलानी हो रही है। उन्होनें कहा कि मुझे लगता है शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी को परख लिया है। राजीव प्रताव रुडी ने यह भी कहा कि मुझे नही पता मेरी पार्टी की अब इस मामले पर क्या राय होगी।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले आज दिन में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अधिकारियों ने कहा कि राज्य की विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी। उनके अनुसार, राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के 15 दिन बाद भी एक स्थायी सरकार संभव नहीं है।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार गठन के लिए सभी प्रयास किए गए हैं, लेकिन उन्हें स्थायी सरकार बनने की कोई संभावना नहीं दिखती। अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल ने उल्लेख किया कि उन्हें लगता है कि राज्य का शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है और अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है तथा वह संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान पर रिपोर्ट भेजने को विवश हैं।