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त्रिपुरा : जनजातीय परिषद चुनाव में 85 फीसदी मतदान

अगरतला: त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के 30 सदस्यों के चुनाव के लिए रविवार को मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हो गया। इस दौरान करीब 85 फीसदी मतदान हुआ, यानी 758,554 लोगों ने अपने मताधिकार

IANS
Updated on: May 03, 2015 20:37 IST
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त्रिपुरा : जनजातीय परिषद चुनाव में 85 फीसदी मतदान

अगरतला: त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के 30 सदस्यों के चुनाव के लिए रविवार को मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हो गया। इस दौरान करीब 85 फीसदी मतदान हुआ, यानी 758,554 लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। मतगणना छह मई को होगी। राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव तमाल मजुमदार ने कहा कि इस महत्वपूर्ण चुनाव में 85 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने मतदान किया।

मजुमदार ने आईएएनएस से कहा कि अंतिम आंकड़े मिलने पर मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है। दोपहर में गर्मी के बावजूद बड़ी संख्या में लोग घरों से निकले और मताधिकार का प्रयोग किया।

क्षेत्र में पहली बार चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से कराया गया।

त्रिपुरा में संवैधानिक निकाय टीटीएएडीसी का चुनाव राज्य विधानसभा के चुनाव जितना ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि त्रिपुरा के कुल 10,491.69 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का दो-तिहाई इलाका टीटीएएडीसी के अधिकार क्षेत्र में आता है। मतदान के लिए यहां कुल 1,070 मतदान केंद्र बनाए गए थे।

चुनाव आयुक्त संजय कुमार राकेश ने बताया कि चुनाव में 175 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं, जिनमें से 10 महिलाएं हैं।

अधिकारियों ने बताया कि टीटीएएडीसी चुनावों में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया गया और इसके लिए कुल 6,055 सरकारी कर्मचारियों और करीब 200 वरिष्ठ अधिकारियों को ड्यूटी पर तैनात किया गया था।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा तृणमूल कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय पार्टियों ने भी स्वायत्त संवैधानिक निकाय चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े किए थे।

दो जनजातीय पार्टियों -इंडिजनस नेशनल पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) और इंडिजनस पीपुल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी)- ने भी सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे।

माकपा के पास क्षेत्र में जनजातीय एवं गैर जनजातीय दोनों ही समुदायों के मतदाताओं बीच मजबूत आधार है, जहां 1988-93 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंध सरकार के कार्यकाल को छोड़कर 1978 के बाद से लगाता वाममोर्चा की सरकार है।

वर्ष 1982 में 30 सदस्यीय टीटीएएडीसी का गठन त्रिपुरा में जनजातीय समुदायों के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृति हितों की रक्षा और संरक्षण के लिए किया गया था, जिसके 28 सदस्यों का चयन चुनाव के माध्यम से किया जाता है, जबकि शेष दो सदस्यों को सरकार नियुक्त करती है।

टीटीएएडीसी की 27 सीटें जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित हैं, जो त्रिपुरा की 37 लाख आबादी का एक-तिहाई हिस्सा हैं।

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